नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) और सतर्कता आयुक्त (वीसी) की नियुक्ति की इजाजत दे दी है. केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि अखबारों में विज्ञापन के जरिये उसने आवेदन मंगवाए थे, जिसके बाद 135 लोगों के नाम शॉर्ट लिस्ट किए गए.

ये सभी आवेदन अब चयन समिति के सामने भेजे जायेंगे जिसमें से नियुक्तियां की जाएंगी. 'सेंटर फॉर इंटिग्रिटी गवर्नेंस एंड ट्रेनिंग इन विजिलेंस एडमिनिस्ट्रेशन' नाम की संस्था की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिया था कि बिना कोर्ट की इजाजत के सीवीसी और वीसी की नियुक्तियां नहीं की जाएंगी.

याचिका में कहा गया है कि सीवीसी और वीसी की नियुक्तियां सरकार अपनी मर्जी से करती है इसमें कोई पारदर्शिता नहीं बरती जाती. कोर्ट ने भी कहा था कि सीवीसी और वीसी की चयन प्रक्रिया पारदर्शी नहीं होने से पक्षपात और भाई-भतीजावाद को बढ़ावा मिलता है. इन पदों के लिए सिर्फ नौकरशाहों को ही क्यों चुना जाता है? आम आदमी क्यों इन पदों पर नहीं बैठ सकता?

18 सितंबर को कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता न बरतने पर केंद्र सरकार की खिंचाई की थी. इसके बाद सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि कोई भी अंतिम निर्णय कोर्ट की सहमति के बगैर नहीं लिया जाएगा. सीवीसी प्रदीप कुमार का कार्यकाल 28 सितंबर और वीसी जेएम गर्ग का कार्यकाल 7 सितंबर को पूरा हो गया था जिसके बाद ये पद खाली पड़े हैं.

कोर्ट ने ये भी कहा है कि नियुक्ति के बाद सरकार सभी उम्मीदवारों से जुड़े दस्तावेज़ और चयन प्रक्रिया के दस्तावेज़ कोर्ट में सौंपेगी.