नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को फौरी राहत प्रदान करते हुए निचली अदालत को यह निर्देश दिया कि इनकी जमानत याचिकाओं पर एक महीने के भीतर विचार किया जाए तथा इस दौरान महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून(मकोका) के प्रावधानों पर विचार न किया जाए।
न्यायमूर्ति फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला और न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह की खंडपीठ ने कहा कि प्रथम ²ष्टया यह प्रमाणित नहीं हो पा रहा है कि इन पर मकोका क्यों लगाया गया है। शीर्ष अदालत ने इनकी जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए विशेष निचली अदालत को एक माह का समय दिया।
खंडपीठ की ओर से न्यायमूति कलीफुल्ला ने फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट किया कि राकेश दत्तारे धावरे को छोड़कर किसी अपीलकर्ता की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान मकोका के प्रावधानों पर विचार नहीं किया जाएगा। महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को हुए बम विस्फोटों के आरोपियों में राजेंद्र चौधरी, लोकेश शर्मा, जितेंद्र शर्मा, सुधाकर द्विवेदी, शिवनारायण गोपाल सिंह कल सांगड़ा, अजय एकनाथ राहिरकर शामिल हैं। इस विस्फोट में छह लोगों की मृत्यु हुई थी और कई लोग घायल हो गए थे। न्यायालय ने कहा कि धावरे पर मकोका के प्रावधान पूर्ववर्ती मामले में उसकी कथित संलिप्तता के कारण लागू रहेंगे।