इस्लामाबाद: पाकिस्तान सरकार ने पेशावर के आर्मी स्कूल पर तालिबानी आंतकी हमले के बाद 6 सालों से लगी रोक को हटाते हुए आंतकियों को फांसी पर चढ़ाने का काम शुरू कर दिया।
लेकिन एक एक शीर्ष मानवाधिकार समूह ने पाकिस्तान से मृत्युदंड पर रोक लगाने को कहा है। समूह का कहना है कि हिंसा रोकने के लिए अपराध पर कड़ी कार्रवाई के तहत, और लोगों की जान लेना जवाब नहीं हो सकता।
एमनेस्टी इंटरनैशनल के एशिया प्रशांत के उप निदेशक डेविड ग्रिफिट्स ने कहा कि पाकिस्तान में फांसी में इजाफा रूकना चाहिए। पेशावर हमला बहुत बर्बर था लेकिन हिंसा को रोकने के लिए जो किया जा रहा है वह बहुत कड़ा है तथा और हत्याएं इसका जवाब नहीं हो सकतीं। सरकार को मृत्युदंड को खत्म करने के नजरिए से फांसी पर तुरंत पाबंदी लगाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल किसी भी स्थिति में मृत्युदंड दिए जाने का विरोध करता है। पाकिस्तान में इसका इस्तेमाल बहुत परेशान करने वाला है क्योंकि कई आरोपियों को मृत्युदंड की सजाएं सही तरीके से मुकदमा चलाए बिना ही सुना दी गई।
गौरतलब है कि मृत्युदंड पर लगी पाबंदी पिछले साल 17 दिसंबर को हटाए जाने के बाद से, पाकिस्तान में आतंकवाद के आरोप में मौत की सजा का सामना कर रहे करीब 500 कैदियों को फांसी दी जा सकती है। पिछले एक महीने में पाकिस्तान ने कई कैदियों को फांसी दी है।
\'अपराध के लिए जान लेना कोई जवाब नहीं\'
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