जबलपुर : दिल्ली के एक अस्पताल में डॉक्टरों ने मां के लीवर के जरिए 7 महीने की बच्ची को एक नया जीवन दिया है। मां की ममता का ये अनोखा उदाहरण एक बार फिर लोगों के लिए चर्च का विषय है।
जबलपुर की रहने वाली इस मां ने अपनी सात वर्षीय नितिषा के लिए अपना लीवर दान किया जोकि बिलियरी एस्ट्रेसिया नाम की बीमारी से पीड़ित थी। बच्ची का वजन 4.5 किलो था।
डॉक्टरों के मुताबिक, जन्म से ही बच्ची के लीवर और आंतें विकृत थीं। डॉक्टरों ने जब बच्ची का चेकअप किया तो उन्होंने बताया कि इसका एक ही इलाज है, लीवर ट्रांसप्लांट। बच्ची की जिंदगी बचाने लिए मां ने आगे बढ़कर अपना लीवर दान किया।
सर गंगा राम हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने बताया कि निमिषा का ऑपरेशन 8 जुलाई को किया गया। जांच के बाद जब डॉक्टरों ने लीवर ट्रांसप्लांट की बात कही तो उसकी मां तुरंत राजी हो गई और अपने लीवर का एक हिस्सा दान कर दिया।
डॉक्टरों ने बताया कि उन्होंने बच्ची की मां के लीवर का एक बहुत ही छोटा हिस्सा लिया है। हालांकि यह भी निमिषा के छोटे से शरीर के लिए बड़ा था। बाद में इसे ट्रांसप्लांट करने के लिए डॉक्टरों ने उस छोटे से हिस्से को भी आधा करके ट्रांसप्लांट किया।
डॉ. निशांत बाधवा ने बताया कि ऑपरेशन के बाद बच्ची के स्वास्थ्य और खाने-पीने की जरूरतों को पूरा करना एक बड़ा चैलेंज था। सर्जरी के अगले दिन भूख की वजह से निमिषा रोने लगी।
डॉक्टरों के लिए यह काफी मुश्किल काम था कि उसकी खाने की जरूरतों को कैसे पूरा करें। निमिषा को पूरी तरह ठीक होने में 18 दिन लगे जिसके बाद उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
आंकड़ों के मुताबिक, देश में हर साल 3 से 4 हजार बच्चे बिलयरी एस्ट्रेसिया के साथ पैदा होते हैं और इलाज में देरी की वजह से इनमें से ज्यादातर की मौत हो जाती है।
डॉक्टरों ने बताया कि ऐसे मामलों में 80 फीसदी बच्चों की मौत हो जाती है। यही नहीं, ऐसे मामलों में बहुत से पीड़ितों का कभी-कभी ऑपरेशन के बाद भी बचना कठिन हो जाता है। इसीलिए निमिषा की का सफल ऑपरेशन महत्वपूर्ण एवं उल्लेखनीय है।
2011 में भी अस्पताल ने 7 महीने की ही एक बच्ची का लीवर ट्रांसप्लांट किया था। उसका वजन 4.6 किलो था।
मां ने लीवर देकर बचाई 7 महीने की बच्ची की जान
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