नई दिल्ली। सीबीआइ के पूर्व निदेशक एपी सिंह (65) ने संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। एपी सिंह कर चोरी के संदिग्ध मांस निर्यातक मोइन अख्तर कुरैशी से संबंधों के कारण विवादों में घिरे थे। हालांकि इस्तीफा देने का कारण उन्होंने मुंबई में विशेष कोर्ट द्वारा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को बरी किया जाना बताया।
साल 1974 बैच के आइपीएस अधिकारी एपी सिंह को फरवरी 2013 में यूपीएससी का सदस्य नियुक्त किया गया था। उनका 2018 तक कार्यकाल था। गत सप्ताह सौंपे अपने इस्तीफे में एपी सिंह ने लिखा कि विशेष कोर्ट द्वारा सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में अमित शाह के खिलाफ लगे आरोपों को निरस्त करने के बाद, मेरे पास पद छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
उन्होंने बुधवार को बताया कि मैं एक सप्ताह पहले ही इस्तीफा दे चुका हूं, लेकिन यह नहीं कह सकता कि वह अभी स्वीकार हुआ या नहीं। सिंह ने ऐसे समय इस्तीफा दिया है, जब प्रवर्तन निदेशालय मनी लांड्रिंग अधिनियम के तहत उनके खिलाफ मामला दर्ज करने पर विचार कर रहा है। आयकर विभाग उन्हें व पत्नी को गत वर्ष ही नोटिस जारी कर उनके क्रेडिट कार्ड लेनदेन की जानकारी मांग चुका है।
सिंह के समय दायर हुए थे शाह के खिलाफ दो आरोपपत्र सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में अमित शाह के खिलाफ सीबीआइ ने पहला आरोपपत्र 2010 में दायर किया था। तब अश्विनी कुमार जांच एजेंसी के निदेशक थे। बाद में जब सीबीआइ ने इस मामले में पूरक आरोपपत्र और तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ मामले में दूसरा आरोपपत्र दायर किया तब एपी सिंह सीबीआइ निदेशक थे।
मांस निर्यातक के संबंधों के कारण विवादों में घिरेदरअसल, एपी सिंह तब विवादों में आए, जब गत वर्ष सुप्रीम कोर्ट में कोयला घोटाले पर सुनवाई के दौरान आयकर विभाग ने मोइन कुरैशी व उनके बीच संबंधों का खुलासा किया। आयकर अधिकारियों ने उन संदेशों की भी जांच की, जिन्हें कथित रूप से ब्लैक बेरी मैसेंजर के जरिये कुरैशी और सिंह ने एक दूसरे को भेजा था।
विभागीय सूत्रों का तो यह भी कहना है कि संदेश आदान-प्रदान के दौरान दोनों ने कोड भाषा का इस्तेमाल किया। हालांकि एपी सिंह मानते हैं कि आयकर अधिकारियों के पूर्वानुमान आधारहीन हैं और मीडिया में लीक होने से पहले उन्हें अपनी बात रखने का एक मौका दिया जाना चाहिए था।
एपी सिंह ने यूपीएससी की सदस्यता से दिया इस्तीफा
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