गणतंत्र दिवस के अवसर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की होने जा रही भारत यात्रा से पहले पेंटागन के एक शीर्ष अधिकारी अगले सप्ताह भारत आएंगे। इस यात्रा में वह भारतीय अधिकारियों के साथ रक्षा क्षेत्र के महत्वपूर्ण मुद्दों और संबंधित सहयोग के उन क्षेत्रों पर चर्चा करेंगे, जिन पर अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान घोषणाएं की जा सकती हैं।
    
रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता मौरीन शुमैन ने बताया कि रक्षा अधिग्रहण, प्रौद्योगिकी और सैन्य तंत्र मामलों के उप मंत्री फ्रैंक केंडाल की योजना अगले सप्ताह भारत की यात्रा करने की है। केंडाल भारत संबंधी रक्षा मुद्दों पर, खासतौर पर भारत-अमेरिका रक्षा व्यापार और तकनीकी पहल (डीटीटीआई) पर, पेंटागन के एक प्रमुख अधिकारी हैं।
   
मौरीन ने कहा, यह उनकी चौथी भारत यात्रा होगी और यह हमारे द्वारा इस रिश्ते को दिए जाने वाले महत्व को दर्शाती है। मौरीन ने कहा, केंडाल की यात्रा का प्राथमिक लक्ष्य रक्षा व्यापार और प्रौद्योगिकी पहल (डीटीटीआई) की गति को जारी रखना है, जो कि रक्षा तकनीक पर सहयोग को प्रोत्साहित करता है और महत्वपूर्ण रक्षा प्रणालियों के सह-निर्माण एवं सह-विकास में सक्षम बनाता है।
   
केंडाल की योजना भारत में रक्षा सचिव राधा कृष्ण माथुर और सचिव (रक्षा उत्पादन) जी मोहन कुमार से मिलने की है। उनकी एक बैठक रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहाकार अविनाश चंद्र के साथ भी तय है। अविनाश चंद्र को इस सप्ताह रक्षा मंत्रालय ने बर्खास्त कर दिया था लेकिन इस माह के अंत तक वह अपनी सेवाएं जारी रखेंगे।
   
केंडाल भारत में अमेरिका के नए राजदूत रिचर्ड वर्मा से भी मुलाकात करेंगे। बराक ओबामा ऐसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति होंगे, जो भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे। उनकी तीन दिवसीय भारत यात्रा 25 जनवरी से शुरू होगी और उनका कार्यक्रम बेहद व्यस्त होगा। वह रक्षा एवं असैन्य परमाणु समझौता समेत अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर नई दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व के साथ बातचीत करेंगे।

कुछ माह पहले दिए भाषण में केंडाल ने कहा था कि एशिया और प्रशांत में तथा कथित बदलाव या पुनर्संतुलन का मूल तत्व भारत-अमेरिका के रक्षा संबंध हैं। यह जनवरी 2012 में रक्षा विभाग द्वारा घोषित नए रक्षा रणनीतिक दिशानिर्देश का मूल तत्व है।
   
डीटीटीआई के तहत, भारत और अमेरिका सह-विकास और सह-उत्पादन के लिए कुछ उच्च तकनीकी रक्षा वस्तुओं की पहचान कर रहे हैं। वह इसे अभूतपूर्व बताते हैं। विशेष कार्यक्रमों पर एक साथ मिलकर काम करने के अलावा, डीटीटीआई में विज्ञान एवं तकनीक में सहयोग को विस्तार देने का प्रयास भी शामिल है।
   
केंडाल ने पिछले साल यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल को संबोधित करते हुए कहा था, हमने आपसी हितों के क्षेत्रों में हमारे मौजूदा अलग-अलग परियोजना शोध समझौतों के रणनीतिक फोकस और स्तर में वृद्धि पर चर्चा की है।
   
उन्होंने कहा कि डीटीटीआई इस धरती पर मौजूद सबसे महत्वपूर्ण देशों में से एक देश के साथ एक गहरा, नजदीकी और विस्तत संबंध स्थापित करने के प्रयास का एक पहलू मात्र है।
   
केंडाल ने कहा, एक ऐसा देश, जिसकी भौगोलिक स्थिति रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण है, जो हमारे मूल्यों और महत्वाकांक्षाओं को साझा करता है और जिसके पास विकास की व्यापक क्षमता है। एक ऐसा देश, जिसे हम दुनिया के बेहद महत्वपूर्ण हिस्से में शांति एवं स्थिरता के लिए एक सहयोगी के तौर पर देखते हैं।