उन्नाव : परियर (उन्नाव) में गंगा की धारा में मिले सौ से ज्यादा शवों पर बुधवार को राजनीति शुरु हो गई। मौके पर पहुंचे भाजपा के कार्यकर्ताओं ने शवों के दफनाने पर आपत्ति जताई, जबकि सपा के लोग कह रहे है कि इनको वही पर दफना दिया जाए। प्रशासन ने कुछ शवों का सैंपल लेकर शव वहीं दफनाने का निर्णय लिया है। मात्र छह-सात शवों के ही सैंपल रखे गए हैं। भाजपा के कार्यकर्ताओं ने मात्र छह-सात शवों का ही सैंपल सुरक्षित रखने पर आपत्ति जताई है। मौके पर हजारो लोगो की भीड़ इकट्ठा है।
कल बिठूर में पीपे के पुल के पास उन्नाव सीमा में गंगा की टूट चुकी धारा में सैंकड़ों शव पड़े मिले। एक किलोमीटर के दायरे में बिखरे शवों को कुत्ते और चील-कौवे नोच रहे थे। गंगा में एक साथ इतने शवों की सूचना मिलते ही कुछ समाजसेवी पहुंचे और धरने पर बैठ गए। उन्नाव और कानपुर के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। शवों को दफनाने के कार्य में सरकारी अमला जुट गया है।
उन्नाव जिले की सीमा में मरौंदा कटरी के माना बंगले गांव के पास गंगा किनारे श्मशान घाट है। मंगलवार को गंगा की टूट चुकी धारा (पानी कम होने पर) में एक किलो मीटर दायरे में सैकड़ों की तादाद में शव देखे गए। कुछ अधजले थे तो कुछ कंकाल में बदल चुके थे। माना जा रहा है कि उन्नाव जिले की सीमा के अंत्योष्टि घाटों में प्रवाहित शव पानी कम होने पर यहां किनारे आ लगे। कुछ समाजसेवियों ने विरोध स्वरूप धरना शुरू कर दिया तो आईजी आशुतोष पाण्डेय, कल्याणपुर सर्किल का फोर्स लेकर पहुंच गए। उन्नाव से एसडीएम भी पहुंचे। मौका देखने के बाद प्रशासन ने शवों को बालू में दफन कराना शुरू कर दिया।
जोन के आईजी आशुतोष पाण्डेय ने कहा कि गंगा की मेन धारा बिठूर की तरफ है, यह एक टूटी धारा है। पानी के कम बहाव से शव बह नहीं सके। गांव के कुछ लोगों ने बताया कि गरीब परिवार के लोग पैसे के अभाव में शवों का दाह संस्कार नही कर पाते हैं। वे शव गंगा में प्रवाहित कर देते हैं। जांच की जा रही है।
डीजीपी ने मांगी रिपोर्ट
प्रदेश के डीजीपी अरुण कुमार गुप्ता ने उन्नाव में लाशें मिलने के मामले में आईजी जोन कानपुर और एसपी उन्नाव से रिपोर्ट मांगी है। आईजी (कानून-व्यवस्था) ए. सतीश गणेश ने कहा कि इन लाशों का संबंध किसी अपराध से नहीं है। संभव है कि यह लाशें अविवाहित युवतियों की मौत पर उनकी अंत्येष्टि जलप्रवाह करके किए जाने के कारण अब पाई गई हैं। इस संबंध में छानबीन की जा रही है।
पानी की कमी और लाशें मिलना हाईकोर्ट की अवमानना
माघ मेला शुरू होने के बावजूद गंगा में पानी की मात्रा नहीं बढ़ने और गंगा में लाशें मिलने पर अधिकारी हाईकोर्ट की अवमानना के दायरे में आ गए हैं। मकर संक्रांति स्नान के एक दिन पूर्व तक संगम का स्नान क्षेत्र सूखा था। खुदाई करके वहां पानी लाया गया। इसके पहले श्रद्धालु व संत पांच जनवरी से लगातार गंगा में पानी की मांग करते रहे लेकिन पर्याप्त पानी नहीं मिला। संक्रांति के एक दिन पहले कानपुर से आई खबर पर कई संतों में नाराजगी बढ़ गई। गंगा बैराज के पास एक साथ कई लाशें मिलने की खबर आई तो हरि चैतन्य ब्रह्मचारी ने कहा कि अधिकारी संवेदनशील नहीं रह गए। निगरानी करते और पहले से पानी का इंतजाम होता तो मुश्किलें इस तरह नहीं आतीं। 2010 में हाईकोर्ट आदेश कर चुका है कि गंगा में लाशें न फेंकी जाएं और माघ मेला की शुरुआत से पहले जल पुलिस को एलर्ट करके इस पर रोक लगाई जाए।
उत्तर प्रदेश: बिठूर के पास गंगा में तैरती मिली लाशों पर राजनीति शुरू
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