पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने सेविंग्स अकाउंट (बचत खाता) पर मिलने वाले ब्याज में कटौती की है। अब इसके सेविंग्स अकाउंट में जमा पैसों पर 2.90% ब्याज मिलेगा। इससे पहले बैंक इस पर 3% ब्याज दे रहा था। ऐसे में अगर आप इन दिनों बैंक अकाउंट खुलवाने के बारे में सोच रहे हैं तो आज हम आपको बता रहे हैं कि कौन-सा बैंक सेविंग्स अकाउंट पर कितना ब्याज दे रहा है।
ये बैंक सेविंग्स अकाउंट पर दे रहे ज्यादा ब्याज
बैंक |
ब्याज दर (%) |
RBL बैंक | 4.25-6.00 |
बंधन बैंक | 3.00-6.00 |
इंडसइंड बैंक | 4.00-6.00 |
यस बैंक | 4.00-5.50 |
IDFC फर्स्ट बैंक | 4.00-5.00 |
पोस्ट ऑफिस | 4.00 |
ICICI बैंक | 3.00-3.50 |
HDFC बैंक | 3.00-3.50 |
पंजाब नेशनल बैंक | 2.90 |
बैंक ऑफ इंडिया | 2.90 |
SBI | 2.70 |
मंथली एवरेज बैलेंस का रखें ध्यान
मंथली एवरेज बैलेंस यानी वो अमाउंट जिसे आपको अपने अकाउंट में रखना जरूरी है। अलग-अलग बैंकों में ये अमाउंट कम और ज्यादा हो सकती है। ऐसे में खाता खुलवाते वक्त आप इस बात का ध्यान रखें कि मिनिमम बैलेंस जितना हो सके, उतना कम हो, वर्ना आप को पेनल्टी भरनी पड़ सकती है। मंथली एवरेज बैलेंस अर्बन और सेमी अर्बन के हिसाब से अलग-अलग होते हैं।
सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज पर भी देना होता है टैक्स
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80TTA के तहत बैंक/को-ऑपरेटिव सोसायटी/पोस्ट ऑफिस के सेविंग्स अकाउंट के मामले में ब्याज से सालाना 10 हजार रुपए तक की आय टैक्स फ्री है। इसका लाभ 60 साल से कम उम्र के व्यक्ति या HUF (संयुक्त हिन्दू परिवार) को मिलता है। वहीं सीनियर सिटीजन के लिए ये छूट 50 हजार रुपए है। इससे ज्यादा आय होने पर TDS काटा जाता है।
अगर आपकी कुल आय टैक्स के दायरे में न आती हो तो क्या करें?
अगर आपके सेविंग अकाउंट, FD या RD से सालाना ब्याज आय 10 हजार से अधिक है, लेकिन कुल सालाना आय (ब्याज आय मिलाकर) उस सीमा तक नहीं है, जहां उस पर टैक्स लगे तो बैंक TDS नहीं काटता। इसके लिए सीनियर सिटीजन को बैंक में फॉर्म 15H और अन्य लोगों को फॉर्म 15G जमा करना होता है। फॉर्म 15G या फॉर्म 15H खुद से की गई घोषणा वाला फॉर्म है। इसमें आप यह बताते हैं कि आपकी आय टैक्स की सीमा से बाहर है। जो इस फॉर्म को भरता है, उसे टैक्स की सीमा से बाहर रखा जाता है।
क्या होता है टीडीएस?
अगर किसी की कोई आय होती है तो उस आय से टैक्स काटकर व्यक्ति को बाकी रकम दे दी जाती है। टैक्स के रूप में काटी गई इस रकम को ही टीडीएस कहते हैं। सरकार टीडीएस के जरिए टैक्स जुटाती है। यह अलग-अलग तरह के आय स्रोतों पर काटा जाता है जैसे सैलरी, किसी निवेश पर मिले ब्याज या कमीशन आदि पर। कोई भी संस्थान (जो टीडीएस के दायरे में आता है) जो भुगतान कर रहा है, वह एक निश्चित रकम टीडीएस के रूप में काटता है।