नई दिल्ली : भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आज 79 साल के हो गए. पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को उनके 78वें जन्मदिन पर बधाई दी और उनके स्वस्थ एवं लंबे जीवन की कामना की.
पीएम ने जन्मदिन की बधाई देते हुए प्रणब के ज्ञान, राजनीतिक अनुभव एवं व्यक्तित्व की सराहना भी की.
ट्वीट में पीएम ने लिखा कि आज, ‘‘हमारे प्रिय राष्ट्रपति जी, श्री प्रणब मुखर्जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं . ईश्वर उन्हें स्वस्थ एवं लंबा जीवन प्रदान करें .’’
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘‘प्रणब दा ने अपना जीवन भारत के लिए समर्पित कर दिया है. कुछ ही लोगों के पास उनके जैसा राजनीतिक अनुभव और क्षमता होगी. हम उनके जैसा राष्ट्रपति पाकर गौरवान्वित हैं .’’
मोदी ने राष्ट्रपति की सराहना करते हुए कहा, ‘‘प्रणब दा से सिर्फ एक बातचीत में ही उनका ज्ञान, तीक्ष्ण बुद्धि, विभिन्न मुद्दों पर उनकी गहरी जानकारी तथा समझ आश्चर्यचकित कर देती है .’’
एक नजर प्रणब मुखर्जी के जीवन पर
राष्ट्रपति मुखर्जी का जन्म आज के ही दिन 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के मिराती (किर्नाहार) गांव में हुआ था.
प्रणब मुखर्जी ने सूरी (वीरभूम) के सूरी विद्यासागर कॉलेज में शिक्षा पाई, जो उस समय कलकत्ता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध था. इसके बाद कलकत्ता विश्वविद्यालय से उन्होंने इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ साथ कानून की डिग्री हासिल की है. वे एक वकील और कॉलेज प्राध्यापक भी रह चुके हैं. उन्हें मानद डी.लिट उपाधि भी प्राप्त है.
उन्होंने पहले एक कॉलेज प्राध्यापक के रूप में और बाद में एक पत्रकार के रूप में अपना कैरियर शुरू किया. वे बाँग्ला प्रकाशन संस्थान देशेर डाक (मातृभूमि की पुकार) में भी काम कर चुके हैं. प्रणब मुखर्जी बंगीय साहित्य परिषद के ट्रस्टी एवं अखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी रह
मुखर्जी का राजनीतिक सफर पहली बार 1969 में कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सदस्य के रूप में (उच्च सदन) से शुरू हुआ था. वे 1975, 1981, 1993 और 1999 में फिर से चुने गये. 1973 में वे औद्योगिक विकास विभाग के केंद्रीय उप-मंत्री के रूप में मंत्रीमंडल में शामिल हुए.
वे सन 1982 से 1984 तक कई कैबिनेट पदों के लिए चुने जाते रहे और और सन् 1984 में भारत के वित्त मंत्री बने. सन 1984 में, यूरोमनी पत्रिका के एक सर्वेक्षण में उनका विश्व के सबसे अच्छे वित्त मंत्री के रूप में मूल्यांकन किया गया. उनका कार्यकाल भारत के अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के ऋण की 1.1 अरब अमरीकी डॉलर की आखिरी किस्त नहीं अदा कर पाने के लिए उल्लेखनीय रहा. वित्त मंत्री के रूप में प्रणब के कार्यकाल के दौरान डॉ॰ मनमोहन सिंह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर थे. वे इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव के बाद राजीव गांधी की समर्थक मंडली के षड्यन्त्र के शिकार हुए जिसने इन्हें मंत्रीमंडल में शामिल नहीं होने दिया. कुछ समय के लिए उन्हें कांग्रेस पार्टी से निकाल दिया गया, उस दौरान उन्होंने अपने राजनीतिक दल राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का गठन किया लेकिन सन 1989 में राजीव गांधी के साथ समझौता होने के बाद उन्होंने अपने दल का कांग्रेस पार्टी में विलय कर दिया और उनका राजनीतिक कैरियर उस समय पुनर्जीवित हो उठा, जब पी.वी. नरसिंह राव ने पहले उन्हें योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में और बाद में एक केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री के तौर पर नियुक्त करने का फैसला किया. उन्होंने राव के मंत्रीमंडल में 1995 से 1996 तक पहली बार विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया. 1997 में उन्हें उत्कृष्ट सांसद चुना गया.
सन 1985 के बाद से वह कांग्रेस की पश्चिम बंगाल राज्य इकाई के भी अध्यक्ष हैं. सन 2004 में, जब कांग्रेस ने गठबन्धन सरकार के अगुआ के रूप में सरकार बनायी, तो कांग्रेस के पीएम मनमोहन सिंह सिर्फ एक राज्यसभा सांसद थे. इसलिए जंगीपुर (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले प्रणब मुखर्जी को लोकसभा में सदन का नेता बनाया गया. उन्हें रक्षा, वित्त, विदेश विषयक मंत्रालय, राजस्व, नौवहन, परिवहन, संचार, आर्थिक मामले, वाणिज्य और उद्योग, समेत विभिन्न महत्वपूर्ण मंत्रालयों के मंत्री होने का गौरव भी हासिल है.
इसके बाद मुखर्जी देश के सर्वोच्चय पद के लिए 25 जुलाई 2012 को भारत के तेरहवें राष्ट्रपति के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का आज 78वां जन्मदिन, मोदी ने दी बधाई
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