नरेंद्र मोदी सरकार ने महान हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद को भारत रत्न देने की कोई सिफारिश नहीं की है.

केंद्र सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए मंगलवार को स्पष्ट किया कि सरकार की तरफ से अभी तक इस सम्मान के लिए किसी का नाम तय नहीं किया गया है.

संसदीय कार्य मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने संसद परिसर में संवाददाताों से कहा.. अखबारों और चैनलों में लोग अपने..अपने हिसाब से इस सम्मान के लिए नाम चला रहे हैं. लेकिन जहां तक सरकार का सवाल है तो सरकार ने इसके लिए अभी कोई नाम तय नहीं किया है.

इससे पूर्व गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया था कि हाकी के जादूगर दिवंगत मेजर ध्यान चंद को भारत रत्न देने के लिए अनेंक क्षेत्रों से सिफारिशें प्राप्त हुई हैं. ये सिफारिशें प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दी गई हैं.

माना जा रहा है कि सरकार ने भारतीय रिर्जव बैंक को पांच भारत रत्न मेडल ढालने के लिए कहा है. तभी से ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि मेजर ध्यान चंद को भी यह सम्मान मिल सकता है.

पिछली सरकार ने खिलाडि़यों को भारत रत्न देने के लिए नियमों में बदलाव किए थे और महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को पिछले साल इस सम्मान से नवाजा गया था.

मेजर ध्यान चंद के बेटे को है मलाल

हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद के बेटे और पूर्व ओलंपियन अशोक कुमार को इस बात का मलाल है कि आज तक उनके बाबूजी को भारत रत्न नहीं दिया गया. उनका मानना है कि दद्दा को काफी पहले ही यह सम्मान मिल जाना चाहिए था.

अशोक ने मंगलवार को यहां कहा कि खिलाड़ियों को बहुत पहले से ही भारत रत्न दिया जाना चाहिए था. खिलाड़ियों को जब यह पुरस्कार मिलना शुरू हुआ, तब भी बाबूजी को दरकिनार कर दिया गया.

सचिन तेंदुलकर को सरकार ने भारत रत्न दिया इसका मुझे कोई मलाल नहीं. उन्होंने ने भी क्रिकेट की काफी सेवा की है. लेकिन बाबूजी का हॉकी में योगदान अनमोल है. इस खेल में अगर भारत की पहचान बनी है तो इसका श्रेय बाबूजी को जाता है.

सचिन के साथ बाबूजी को भी संयुक्त रूप से भारत रत्न दिया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ जिसका दुख है. अगर यह सम्मान उन्हें मिलता तो हॉकी खिलाड़ियों में नई ऊर्जा का संचार होता और वे अपने आप को उपेक्षित महसूस नहीं करते.