भोपाल । अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति का अधिकार संबंधित प्रशासकीय विभाग को देने के प्रस्ताव का कई मंत्रियों ने मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में खुलकर विरोध किया। इसमें 90 दिन में अभियोजन स्वीकृति देना अनिवार्य होगा।
गृह मंत्री बाबूलाल गौर ने कहा कि प्रशासकीय विभाग और विधि विभाग में मत भिन्नता होने पर ऐसे मामलों को कैबिनेट में लाना पडे़गा। इस नई प्रक्रिया से केवल उलझन ही बढे़गी। इस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वर्तमान प्रक्रिया के तहत संबंधित विभाग के प्रस्ताव पर विधि विभाग अभियोजन स्वीकृति देता है। देखने में आ रहा है कि लंबे समय तक स्वीकृति नहीं मिल पाती। इससे बेवजह सरकार पर भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देने का आरोप लगता है। इसलिए नए प्रावधान के तहत 90 दिन में विभाग को अभियोजन स्वीकृति देना अनिवार्य किया जा रहा है।
उच्च शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि यदि विभाग 90 दिन में अभियोजन स्वीकृति नहीं देते हैं तो क्या किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अवधि में स्वीकृति देना अनिवार्य किया जा रहा है, यदि कोई विभाग नहीं देगा तो उस पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। पंचायत एवं विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि यदि किसी प्रकरण में विभाग 90 दिन के अंदर अभियोजन स्वीकृति नहीं देता है तो ऐसे विशेष प्रकरणों में संबंधित मंत्री से अनुमोदन लेकर एक माह का अतिरिक्त समय लेकर अभियोजन स्वीकृति के मामले का निराकरण किया जाने का प्रस्ताव मंजूर करें तो बेहतर होगा। मंत्री भार्गव के मत से सभी मंत्रियों की सहमति मिलने के बाद इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसके चलते लोकायुक्त-ईओडब्ल्यू की अनुशंसा पर संस्थित विभागीय जांच प्रकरणों में अधिकारी-कर्मचारी के दोषी पाए जाने पर प्रकरण में कैबिनेट से अनुमोदन लेने की अनिवार्यता भी समाप्त करने का निर्णय लिया गया।
कैबिनेट के मुख्य फैसले
-हाईकोर्ट में द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के 200 नए पद मंजूर।
-आवासीय आयुक्त कार्यालय मप्र भवन नई दिल्ली में 7, विधानसभा सचिवालय में सहायक शिष्टाचार अधिकारी के दो, डेंटल मेडिकल कालेज इंदौर के लिए 26 पद, प्रशासन अकादमी में 8, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के तीन प्री-मेट्रिक कन्या छात्रावास के लिए 15 पदों को मंजूरी।
--जल निगम की 9 समूह जल प्रदाय योजना को प्रशासकीय स्वीकृति। इनमें 383 गांव की लगभग 5 लाख आबादी को लाभ होगा। प्रत्येक ग्रामवासी को 70 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पानी मिलेगा।
-मुख्य तकनीकी परीक्षक [सतर्कता] संगठन में सीई के पदों 5 साल सीनियर एसई को पदस्थ किया जा सकेगा।
-निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को प्रभावी बनाने के लिए एक कमेटी बनेगी। इसमें मंत्रीगण एवं संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव होंगें।
-लोकायुक्त एवं उप लोकायुक्त अधिनियम-1981 में संशोधन का निर्णय लिया। इसके अनुसार लोकायुक्त का कार्यकाल समाप्त होने के बाद जब तक उनका उत्ताराधिकारी नहीं मिल जाता तब तक एक साल के लिए कार्यकाल बढ़ाया जा सकेगा।
-सामाजिक न्याय द्वारा संचालित 41 मान्यता प्राप्त संस्था एवं जिला विकलांग पुनर्वास सेंटर के 106 शिक्षक और कर्मियों को बढ़ा हुआ विशेष भत्ता एक अप्रैल 2014 से मंजूर।
-एससी-एसटी और ओबीसी के बेकलॉग पदों के लिए विशेष भर्ती अभियान की समय-सीमा को 30 जून 2015 तक बढ़ाई।
--सर्वपल्ली राधाकृष्णन युनिवर्सिटी भोपाल के संबंध में प्रस्तुत संशोधन विधेयक-2014 को अनुमति।
-राज्य तिलहन संघ मर्यादित भोपाल के तीन कर्मचारी का अनारक्षित वर्ग के रिक्त पदों, पंचायत विभाग में 123 और सहकारिता विभाग में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ 76 उप अंकेक्षक को संविलियन की मंजूरी।
90 दिन में अभियोजन की स्वीकृति देना अनिवार्य
आपके विचार
पाठको की राय