नई दिल्ली। लड़कियां बढ़ती उम्र के साथ सर्विकल कैंसर की चपेट में न आएं इसके लिए भारत सरकार ने बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों के दो टीकों की मंजूरी दी है। कुछ राज्यों में इन टीकों के इस्तेमाल के बाद इनके दुष्प्रभाव सामने आए हैं और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इनके लाइसेंस से जुड़ी फाइलें पेश करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को होगी।
शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पर संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट भी पेश करे। बताया जाता है कि इस समिति ने इस कैंसर की रोकथाम के लिए ह्यूमन पेपिलामा वायरस (एचपीवी) के इस्तेमाल से पहले सुरक्षा से जुड़े पहलुओं से संतुष्ट हो लेने का निर्देश दिया था। न्यायमूर्ति दीपक मिश्र और वी गोपाल गौड़ा की पीठ ने भारतीय चिकित्सा एवं अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) से टीके से जुड़ी फाइल अपनी अदालत में पेश करने को कहा।
बहुराष्ट्रीय दवा कंपनी मर्क शार्प एंड डोहमे फार्मासूटिकल्स व ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन लिमिटेड के क्रमश: गार्डसिल और सरवेरिक्स टीके सवालों के घेरे में हैं।
इनके बारे में पीठ ने कहा कि विभिन्न जनहित याचिकाओं द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब के लिए इन्हें लाइसेंस देने से जुड़ी फाइलों की जरूरत है। पीठ ने गुजरात, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को इस मामले में प्रतिवादी बनने की इजाजत दे दी। इन्हीं राज्यों में इन टीकों का प्रायोगिक तौर पर इस्तेमाल हुआ था। इनकी रिपोर्ट में कहा गया है कि टीकों का लड़कियों पर दुष्प्रभाव देखा गया। कुछ मामलों में तो मौत भी हो गई। पीठ ने कहा कि उसे देखना है कि इन टीकों को इस्तेमाल के लिए उचित प्रक्रिया अपनाई गई या नहीं।
यह पीठ कल्पना मेहता की उस याचिका की सुनवाई कर रही थी जिसमें इन टीकों के लाइसेंस निरस्त करने की मांग की गई है। आरोप है कि सुरक्षा को लेकर पर्याप्त शोध के बगैर इन टीकों को इस्तेमाल की स्वीकृति दे दी गई।