लंदन । बर्फ का एक विशाल पहाड़ अंटार्कटिका में टूटकर अलग हो गया है। बताया जा रहा है ‎कि यह दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड है। टूटा हुआ यह हिमखंड 170 किलोमीटर लंबा है और करीब 25 किलोमीटर चौड़ा है। यूरोपीय स्‍पेस एजेंसी के सैटलाइट तस्‍वीरों से नजर आ रहा है कि अंटारकर्टिका के पश्चिमी हिस्‍से में स्थित रोन्‍ने आइस सेल्‍फ से यह महाकाय बर्फ का टुकड़ा टूटा है। इस हिमखंड के टूटने से दुनिया में दहशत का माहौल है। यह हिमखंड टूटने के बाद अब वेड्डेल समुद्र में स्‍वतंत्र होकर तैर रहा है। 
इस महाकाय हिमखंड का पूरा आकार 4320 किलोमीटर है। यह दुनिया में सबसे बड़ा हिमखंड बन गया है। इसे ए-76 नाम दिया गया है। इस हिमखंड के टूटने की तस्‍वीर को यूरोपीय यूनियन के सैटलाइट कापरनिकस सेंटीनल ने खींची है। यह सैटलाइट धरती के ध्रुवीय इलाके पर नजर रखता है। ब्रिटेन के अंटार्कटिक सर्वे दल ने सबसे पहले इस हिमखंड के टूटने के बारे में बताया था। नैशनल स्‍नो एंड आइस डेटा सेंटर के मुताबिक इस हिमखंड के टूटने से सीधे समुद्र के जलस्‍तर में वृद्धि नहीं होगी लेकिन अप्रत्‍यक्ष रूप से जलस्‍तर बढ़ सकता है। यही नहीं ग्‍लेशियर्स के बहाव और बर्फ की धाराओं की गति को धीमा कर सकता है। सेंटर ने चेतावनी दी कि अंटारर्कटिका धरती के अन्‍य हिस्‍सों की तुलना में ज्‍यादा तेजी से गरम हो रहा है। अंटारकर्टिका में बर्फ के रूप में इतना पानी जमा है जिसके पिघलने पर दुनियाभर में समुद्र का जलस्‍तर 200 फुट तक बढ़ सकता है। 
उन्‍होंने कहा कि हिमखंडों के टूटने की गति पर नजर रखने की जरूरत है लेकिन अभी इनका टूटना अपेक्ष‍ित है। नेचर पत्रिका के मुताबिक वर्ष 1880 के बाद समुद्र के जलस्‍तर में औसतन 9 इंच की बढ़ोत्‍तरी हुई है। इनमें से एक तिहाई पानी ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका की बर्फ पिघलने से आया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ए-76 जलवायु परिवर्तन की वजह से नहीं बल्कि प्राकृतिक कारणों से टूटा है। ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे दल की वैज्ञानिक लौरा गेरिश ने ट्वीट करके कहा कि ए-76 और ए-74 दोनों अपनी अवधि पूरी हो जाने के बाद प्राकृतिक कारणों से अलग हुए हैं।