
मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने लोगों को ‘ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स’ को लेकर चेतावनी दी है। सेबी ने कहा है कि ये प्लेटफॉर्म न तो सेबी के अधीन आते हैं और न ही इनके लिए निवेशकों को कोई सुरक्षा मिलती है।
क्या होते हैं ‘ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स’?
ये ऐसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म होते हैं, जहां लोग किसी घटना के होने या न होने (Yes/No) के अनुमान पर पैसे लगाते हैं। मुनाफा इस बात पर निर्भर करता है कि आपने सही अनुमान लगाया या नहीं। इन प्लेटफॉर्म्स पर उपयोग किए जाने वाले शब्द जैसे “प्रॉफिट”, “स्टॉप लॉस”, “ट्रेडिंग” आदि, सामान्य ट्रेडिंग की तरह लगते हैं, जिससे लोग भ्रमित हो सकते हैं कि ये असली निवेश प्लेटफॉर्म हैं।
सेबी ने क्या कहा?
सेबी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म उसके नियमों के दायरे में नहीं आते हैं। इन प्लेटफॉर्म्स पर किया गया निवेश न तो सुरक्षित होता है और न ही यह कानूनी माना जाता है। ऐसे प्लेटफॉर्म न तो सेबी से रजिस्टर्ड हैं और न ही किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के अंतर्गत आते हैं। सेबी ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि इन प्लेटफॉर्म्स पर ऐसा कोई ट्रेड किया जाता है जिसे ‘सिक्योरिटी’ (जैसे शेयर आदि) की तरह माना जाए, तो वह पूरी तरह अवैध होगा। इसके अलावा, सेबी ने NSE और BSE जैसे अधिकृत स्टॉक एक्सचेंजों को ऐसे अवैध प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
T+0 सेटलमेंट पर नया अपडेट
इसके साथ ही सेबी ने T+0 सेटलमेंट सिस्टम लागू करने की समयसीमा बढ़ा दी है। T+0 सेटलमेंट का मतलब है कि जिस दिन शेयर खरीदे जाते हैं, उसी दिन उनका पैसा और शेयर दोनों का लेन-देन पूरा हो जाता है। पहले यह प्रक्रिया T+1 के आधार पर होती थी, यानी खरीद के अगले दिन सेटलमेंट होता था। सेबी ने यह नई व्यवस्था फिलहाल चयनात्मक रूप से लागू की है। इस सुविधा को लागू करने की जिम्मेदारी केवल Qualified Stock Brokers (QSBs) को दी गई है, जिनमें Angel One, HDFC Securities, ICICI Securities, Zerodha जैसे ब्रोकर्स शामिल हैं।