
रांची: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ झारखंड के प्रांत प्रचारक गोपाल शर्मा ने महारानी अहिल्याबाई होलकर एवं संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव आंबेदकर के जीवन से प्रेरणा लेने पर जोर देते हुए कहा कि उन महान विभुतियों के बारे में समाज एवं अपनी आने वाली पीढ़ी को बताने की जरूरत है।
दोनों ने विपरीत परिस्थितियों में आगे बढ़ते हुए समाज एवं देश के लिए बहुत कुछ किया। वे आरएसएस के सामाजिक समरसता गतिविधि की ओर से महारानी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं एवं बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की 134वीं जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम का आयोजन सरस्वती शिशु विद्या मंदिर धुर्वा में किया गया था। गोपाल शर्मा ने कहा कि अहिल्याबाई कठिन परिस्थितियों में मालवा सामाज्य की शासक बनी। उस समय तीन लाख से ज्यादा मंदिरों को मुगलों ने ध्वस्त कर दिया था, जो मंदिर कभी सेवा, संस्कार एवं सहयोग के केंद्र हुआ करते थे। अहिल्याबाई ने हजारों मंदिरों का निर्माण करवाया।
नदियों व तालाबों के किनारे घाट बनवाने के साथ-साथ शिक्षण संस्थान बनवाने का भी काम की। परंतु इतिहास में उनके बारे में सही जानकारी नहीं दी गई है। जब उनके बारे में पढ़ेंगे तो पता चलेगा की पिछड़े वर्ग से आने के बाद भी समाज के लिए सेवा के कितने कार्य किए हैं। उन्होंने शिवाजी महाराज, गुरु तेगबहादुर व महाराणा प्रताप के जीवन से भी प्रेरणा लेने पर जोर दिया।
बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की चर्चा करते हुए कहा उनके नाम पर आज देश को बांटने की साजिश चल रही है। उससे सतर्क रहते हुए समाज को जागृत करना है। इस मौके पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजिक समरसता गतिविधि के प्रांत संयोजक दिनेश मंडल ने 'हम सब हिंदू एक हैं' का भाव लोगों में जगाने का काम किया।
समारोह की अध्यक्ष भारतीय दार्शनिक परिषद की राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. राजकुमारी सिन्हा ने महिलाओं को भी सामाजिक परिवर्तन में अपनी भागीदारी निभाने पर जोर दिया। इतिहास के कई तथ्यों का उल्लेख किया। धन्यवाद ज्ञापन गतिविधि के महानगर पालक सत्यनारायण कंठ ने किया।
मंच पर क्षेत्र संघचालक देवव्रत पाहन एवं महानगर संघचालक पवन मंत्री भी थे। समारोह में पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रांत संयोजक सच्चिदानंद मिश्र एवं कुटुंब प्रबोधन के संयोजक सकलदेव चौरसिया, नगर संघचालक नागेंद्र कुमार, नगर कार्यवाह सुबोध कुमार व सह कार्यवाह रौशन कुमार, महानगर प्रचारक विशाल कुमार, जिज्ञासा ओझा, ललन कुमार सहित बड़ी संख्या में समाज के लोग उपस्थित थे। महिलाओं की संख्या भी अच्छी थी।