न्यूयॉर्क। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में निंदा के दौरान पाकिस्तान ने एक बार फिर अपनी दोगली नीति का परिचय दिया। आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की हत्या के बावजूद पाकिस्तान ने चीन के साथ मिलकर निंदा प्रस्ताव के शब्दों को कमजोर करने की कोशिश की। इस हमले में अधिकांश मृतक पर्यटक थे, फिर भी पाकिस्तान ने सीधे तौर पर आतंकवादियों की निंदा करने से परहेज किया और केवल दुख जताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका द्वारा प्रस्तावित मूल मसौदे में भारत सरकार के साथ सक्रिय सहयोग का आह्वान था, जैसा कि पुलवामा हमले के बाद भी किया गया था। लेकिन पाकिस्तान ने चीन का सहारा लेकर भाषा को बदलवाया। नतीजतन, अंतिम बयान में संबंधित अधिकारियों के साथ सहयोग करने की बात कही गई — जिससे सीधे तौर पर भारत का नाम हट गया।
संयुक्त राष्ट्र का नरम रुख
पहलगाम हमले के बाद जारी यूएनएससी के बयान में कहा गया, कि सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है, जिसमें कम से कम 26 लोग मारे गए और कई घायल हुए। सदस्यों ने आतंकवाद के इस निंदनीय कृत्य के अपराधियों और उनके मददगारों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।
हालांकि, इस बार भाषा अपेक्षाकृत नरम रही और भारत सरकार के साथ सीधे सहयोग का उल्लेख नहीं किया गया — जैसा पुलवामा हमले के निंदा वक्तव्य में था।
पाकिस्तान की रणनीति ही थी कि आतंकियों को उसने स्वतंत्रता सेनानी बताया। पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने पहलगाम हमले को लेकर आतंकवादियों को स्वतंत्रता सेनानी बताने की कोशिश की थी। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी भारत के जांच प्रयासों का समर्थन करने के बजाय तटस्थ और पारदर्शी अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की, जिससे पाकिस्तान की मंशा और अधिक स्पष्ट हो गई।
पाकिस्तान की छवि पर बुरा असर
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का यह रवैया एक बार फिर उसकी वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचाता है। आतंकवाद के खिलाफ विश्व समुदाय के बढ़ते सहयोग और भारत के आक्रामक कूटनीतिक प्रयासों के बीच पाकिस्तान खुद को अलग-थलग कर रहा है। साथ ही, चीन के साथ उसकी बढ़ती साठगांठ भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना का कारण बन रही है।
साफ है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी आतंकवाद को लेकर दोहरा खेल खेल रहा है। भारत ने अपनी कूटनीति के जरिए न केवल पाकिस्तान के झूठ को बेनकाब किया है, बल्कि वैश्विक समुदाय के सामने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट लड़ाई का आह्वान भी किया है।