
नई दिल्ली : बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में रावण दहन के बाद बिजली का तार गिरने की अफवाह के बाद मची भगदड़ में करीब तीन दर्जन लोगों की मौत हो गई। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। पहले भी कई लोगों की जिंदगी भगदड़ की शिकार हुई हैं। लेकिन यह सब कब तक चलता रहेगा। सरकार हादसे के बाद मुआवजा देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेती है, लेकिन ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए किसी तरह का कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया जाता। अक्सर ऐसी घटनाओं में प्रशासन की लापरवाही ही बताई जाती है। यहां भगदड़ और उसमें मौत की कुछ प्रमुख घटनाओं का उल्लेख किया गया है जो इस बात का प्रमाण है कि इसकी फेहरिस्त बहुत लंबी है --
अगस्त 2014 : मध्यप्रदेश के सतना जिला स्थित चित्रकूट में कामतनाथ मंदिर में भगदड़ मचने से दर्जनभर से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
10 फरवरी 2013 : इलाहाबाद के कुंभ मेले में भगदड़ से 36 लोगों की मौत।
अक्टूबर 2013 : मध्यप्रदेश के दतिया जिला स्थित रतनगढ़ माता मंदिर में दर्शन करने जा रहे श्रद्धालुओं की भीड़ में मची भगदड़ में करीब 115 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे में लगभग 100 अन्य लोगों भी घायल हो गए थे।
सितंबर 2012 : झारखंड के देवघर जिले में ठाकुर अनुकूल चंद की 125वीं जयंती पर एक आश्रम परिसर में हजारों की भीड़ एकत्र हो जाने और सभागार में भारी भीड़ के कारण दम घुटने से नौ लोगों की मौत हो गई थी, वहीं 120 बेहोश हो गए थे। इससे पहले उत्तर प्रदेश के मथूरा जिले के राधा रानी मंदिर में भारी भीड़ हो जाने से दो महिला की मौत हो गई थी।
2012 : पटना में छठ पूजा में भगदड़ मचने की वजह से 17 लोगों की मौत हो गई थी। मारे गए लोगों में 9 बच्चे भी शामिल थे।
2 सितंबर 2012 : बिहार के नालंदा जिले में स्थिर राजगीर कुंड में स्नान के लिए श्रद्धालुओं के बीच मची होड़ के कारण दो की मौत हो गई थी और अन्य छह घायल हो गए थे।
8 नवंबर 2011 : उत्तर प्रदेश के हरिद्वार में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान गंगा नदी के किनारे हजारों श्रदालुओं की भीड़ में भगदड़ मची गई और इसमें 16 लोगों की मौत हो गई थी।
14 जनवरी 2011 : केरल के इदुक्की जिले में स्थित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल शबरीमाला के नजदीक पुलमेदु में मची भगदड़ में कम से कम 102 श्रदालु मारे गए थे और अन्य 50 घायल हो गए थे।
4 मार्च 2010 : यूपी के प्रतापगढ़ में कृपालू महाराज के आश्रम में भगदड़ से 63 लोगों की मौत और 15 लोग घायल हो गए थे। यहां पर खाना बांटे जाने के वक्त भगदड़ मच गई थी।
3 जनवरी 2008 : आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा के दुर्गा मल्लेश्वर मंदिर में पांच लोग मारे गए थे।
जुलाई 2008 : ओडिशा के पुरी में जगन्ननाथ यात्रा के दौरान छह लोग मारे गए थे 12 घायल हो गए थे।
30 सितंबर 2008 : राजस्थान के जोधपुर शहर के चामूंडा मंदिर में 224 लोग मारे गए थे और 60 घायल हो गए थे। यहां एक अफ वाह से भगदड़ मची थी।
27 मार्च 2008 : मध्यप्रदेश के कारिला गांव में एक मंदिर में भगदड़ मचने की वजह से आठ लोगों की मौत हो गई थी और 10 गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
जनवरी 2005 : महाराष्ट्र के सतारा जिले के मंदारदेवी मंदिर में सीढ़ियों से कुछ लोगों के गिरने बाद मची भगदड़ में 340 लोगों की मौत हो गई थी।