
अधिवक्ताओं और कोरोना से मरने वाले लोगों के बच्चों की देखभाल सरकार करेगी
मध्यप्रदेश में ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों का इलाज सरकार पूरी तरह फ्री करेगी। इसके लिए देश का पहला सेंटर भी भोपाल और जबलपुर में बनाया जा रहा है। इस बीमारी से पीड़ित लोगों के इलाज की पूरी जिम्मेदारी सरकार उठाएगी। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि केंद्र के द्वारा भी ब्लैक फंगस के उपचार के लिए सबसे पहले सेंटर मध्यप्रदेश में ही बनाए जाएंगे।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वाले लोगों के अनाथ हुए बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी लेने का निर्णय लिया है। कोरोना संक्रमित अधिवक्ताओं की मदद भी सरकार करेगी। अब कर्फ्यू में ढील की संभावना पर भी चर्चा की जा रही है। सीएम ने कहा कि संक्रमण में पालकों को खोने वाले बच्चों और आजीविका का सहारा खोने वाले परिवारों को 5,000 रुपये पेंशन, नि:शुल्क राशन, बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाएगी। ऐसी सुविधाएं देने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य है ।
शहरों की संक्रमण दर गांवों से दोगुनी है
ग्रामीण इलाकों में अत्यधिक जागरूकता आई है। गांव के बाहर क्वॉरैंटाइन सेंटर बनाए जा रहे हैं। गांव के लोग दूसरे लोगों को गांव के अंदर नहीं आने दे रहे हैं। अभी भी गांव में संक्रमण की दर 6% तक ही है। इसलिए यह भ्रम नहीं होना चाहिए कि गांव में संक्रमण की दर अधिक है। शहरों में संक्रमण की दर दोगुनी यानी अभी 13% है।
कर्फ्यू में ढील की तैयारी
जिन क्षेत्रों में करुणा संक्रमण की दर 5% से नीचे आएगी, वहां पर कोरोना कर्फ्यू में आंशिक ढील दी जाएगी। संक्रमण की दर नियंत्रित होने पर उसे आगे भी बढ़ाया जा सकेगा। निर्णय डिस्ट्रिक्ट क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी द्वारा लिए जाएंगे। देश का पहला राज्य मध्यप्रदेश है, जो कोरोना से काल-कवलित हुए लोगों के बेसहारा परिवारों की जिम्मेदारी का निर्वहन करेगा। शिवराज सरकार परिवारों की चिंता करेगी।
वकीलों की मदद करेंगे
गृहमंत्री ने कहा कि बुधवार को अधिवक्ता कल्याण निधि न्यास समिति की बैठक की थी। अधिवक्ता सहायता योजना के तहत कोरोना से गंभीर पीड़ित वकीलों के उपचार के लिए 5 करोड़ की राशि दी जाएगी। इलाज कराने वाले के खाते में सीधे राशि डाली जाएगी। कोरोना के कारण अब तक 45 वकीलों की मौत हो चुकी है। उनके परिजनों को एक-एक लाख रुपए की आर्थिक मदद दी जाएगी। इससे पहले 303 वकीलों की मौत के बाद उनके परिजनों को एक-एक लाख रुपए की मदद की गई थी।