
मॉस्को रूस ने कोरोना की सिंगल डोज वैक्सीन बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है। इस वैक्सीन का नाम है स्पुतनिक लाइट और यह 79.4% असरदार है। यह उसी स्पुतनिक फैमिली की नई वैक्सीन है, जिसका अभी यूरोप और अमेरिका को छोड़कर दुनिया के 60 देशों में इस्तेमाल हो रहा है। भारत भी स्पुतनिक V को मंजूरी दे चुका है। 1 मई को इसकी पहली खेप भारत आ चुकी है। इसलिए उम्मीद की जा रही है कि इसकी नई सिंगल शॉट लाइट वैक्सीन को आने वाले वक्त में देश में मंजूरी मिल सकती है।
स्पुतनिक लाइट को मॉस्को के गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बनाया है। स्पुतनिक-V की तरह इसे भी रशियन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड (RDFI) ने फाइनेंस किया है। RDFI के CEO किरिल दिमित्रिएव ने गुुरुवार को बताया कि दुनियाभर में इसकी कीमत 10 डॉलर (करीब 730 रुपए) से कम रहेगी।
इस वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल में 7000 लोगों को शामिल किया गया। ट्रायल रूस, UAE और घाना में हुए। 28 दिनों बाद इसका डेटा एनालाइज किया गया। नतीजों में पाया गया कि यह वैक्सीन वायरस के सभी नए स्ट्रेन पर असरदार है। इसका डेटा बता रहा है कि यह कई दूसरी डबल डोज वैक्सीन से ज्यादा असरदार है।
स्पुतनिक लाइट के फायदे
इसकी ओवरऑल एफिकेसी 79.4% है। वैक्सीन लगवाने वाले 100% लोगों में 10 दिन बाद ही एंटीबॉडीज 40 गुना तक बढ़ गईं।
वैक्सीन लगवाने वाले सभी लोगों में कोरोना वायरस के S-प्रोटीन के खिलाफ इम्यून रिस्पॉन्स डेवलप हुआ।
इस वैक्सीन के सिंगल डोज होने की वजह से बड़ी आबादी वाले देशों में वैक्सीनेशन रेट बढ़ाया जा सकेगा।
स्पुतनिक लाइट को 2 से 8 डिग्री टेम्प्रेचर पर स्टोर किया जा सकता है। इससे यह आसानी से ट्रांसपोर्ट हो सकेगी।
जिन लोगों को पहले कोरोना संक्रमण हो चुका है, ये वैक्सीन उन पर भी असरदार है।
वैक्सीन लगवाने के बाद कोरोना के गंभीर असर का खतरा कम हो जाएगा। ज्यादातर मामलों में मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
भारत में अब तक 3 वैक्सीन को मंजूरी, जानिए तीनों में फर्क
1. कोवैक्सिन
इसे पारंपरिक इनएक्टिवेटेड प्लेटफॉर्म पर बनाया गया है। यानी इसमें डेड वायरस को शरीर में डाला जाता है। इससे एंटीबॉडी रिस्पॉन्स होता है और शरीर वायरस को पहचानने और उससे लड़ने लायक एंटीबॉडी बनाता है।
2. कोवीशील्ड
यह वायरल वेक्टर वैक्सीन है। इसमें चिम्पैंजी में पाए जाने वाले एडेनोवायरस ChAD0x1 का इस्तेमाल कर उससे कोरोना वायरस जैसा ही स्पाइक प्रोटीन बनाया गया है। यह शरीर में जाकर इसके खिलाफ प्रोटेक्शन विकसित करता है।
3. स्पुतनिक V
यह भी एक वायरल वेक्टर वैक्सीन है। अंतर यह है कि इसे एक की बजाय दो वायरस से बनाया गया है। इसमें दोनों डोज अलग-अलग होते हैं, जबकि कोवैक्सिन और कोवीशील्ड के दो डोज में अंतर नहीं है।
स्पुतनिक-V के डेढ़ लाख डोज भारत आए थे
देश में वैक्सीन की कमी को देखते हुए सरकार ने रूसी वैक्सीन स्पुनतिक V को मंजूरी दी थी। इसकी पहली खेप 1 मई को भारत आई थी। देश में इस वैक्सीन का प्रोडक्शन कर रही डॉ. रेड्डीज लैब के CEO (API एंड सर्विसेज) दीपक सपरा ने कहा था कि DCGI की मंजूरी के बाद हमें डेढ़ लाख डोज का पहला शिपमेंट मिला है। लोगों को यह वैक्सीन कुछ हफ्तों में मिलने लगेगी।