जबलपुर. कोरोना संकट के इस मुश्किल दौर में खाकी पर लगे क्रूरता के धब्बे छूट रहे हैं. उसका मानवीय चेहरा निखर रहा है. जी हां, बीते दो दिनों में जबलपुर से जो तस्वीरें सामने आईं हैं वे खाकी का गौरव बढ़ा रही हैं. कल पुलिसकर्मियों ने ऑक्सीजन सिलेंडरों की आपूर्ति कर 45 मरीजों की जान बचाई तो आज दो पुलिसकर्मियों ने प्लाज्मा डोनेट कर दो जरूरतमंदों की जिंदगी बचाई.

प्रदेश के डीजीपी ने की सराहना
कोरोना के वैश्विक संकट के इस बुरे वक्त में संस्कारधानी जबलपुर से जुड़ी दो खुशनुमा घटनाएं आपको बताते हैं. पहली घटना 23 अप्रैल सुबह 5 बजे की है. जब एक निजी अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म हो जाने के चलते लगातार मरीज मर रहे थे, तब पुलिसवालों ने आगे आकर सिलेंडरों की आपूर्ति की और अस्पताल में भर्ती 45 मरीजों की जान बच गई. इस अस्पताल में ऑक्सीजन न मिलने के चलते 5 मरीजों की मौत हो गई थी. इस बारे में अपने ट्वीट में डीजीपी ने कहा था कि अगर पुलिस नहीं पहुंचाती ऑक्सीजन, तो बड़ी जनहानि हो सकती थी. अपने ट्वीट में डीजीपी ने पुलिस टीम की तत्परता की प्रशंसा की.

प्रशंसा के पात्र हैं ये पुलिसकर्मी
दूसरी घटना 24 अप्रैल की है. इस दिन दो सिपाहियों ने दो जिंदगियां बचाईं. इन दो सिपाहियों में एक हैं कैंट के थाना प्रभारी विजय तिवारी, तो दूसरे हैं आरक्षक रामकृष्ण शर्मा. कैंट थाना प्रभारी विजय तिवारी ने सतना की एक महिला मरीज को प्लाज्मा डोनेट किया और उनकी जान बचाई. तो वही रामकृष्ण शर्मा ने छिंदवाड़ा के एक मरीज को अपना प्लाज्मा दिया.

ऊर्जा देते हैं नेक कार्य
महामारी के इस दौर में जहां हर ओर हाहाकार मचा है, उस बीच पुलिसकर्मियों का यह रूप देख तसल्ली मिलती है. इस संक्रमण काल में शमशान में जलती चिताएं और अस्पताल में कराहती जिंदगियां मन को कमजोर बनाती हैं. लेकिन जब पुलिसकर्मी इस तरह से नेक काम में जुटते हैं, तो जीवन को ऊर्जा मिलती है. यह ऊर्जा सिखाती है कि चाहे जो हो जाए अगर जज्बा है. हिम्मत है तो हर लड़ाई जीती जा सकती है.