
एनजीटी दिल्ली का फैसलाःनागदा स्थित ग्रेसिम एवं अन्य उद्योगो को दी फटकार एवं लगाया 75 लाख रूपये का जुर्माना
नागदा(निप्र) - नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल नई दिल्ली द्वारा दिनांक 07/04/2021 को एक याचिका में आदेश पारित किया । याचिकाकर्ता शंकरलाल प्रजापत ई ब्लॉक बिरलाग्राम नागदा एवं दिनेश प्रजापति सोश्यल एक्टिविस्ट, भोपाल द्वारा एक याचिका प्रस्तुत की गई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्री अनुपम सिद्धार्थ एवं अभिषेक मालवीय के द्वारा एनजीटी नई दिल्ली को यह अवगत कराया गया कि नागदा एवं उसके आसपास के गांवो में ग्रेसिम इंडस्ट्रीज के कारण वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण बहुत बड़े स्तर पर हो रहा है जिसके कारण वातावरण तबाह व बर्बाद हो रहा है तथा आसपास के 22 गांवो में बिमारी की चपेट में आ रहे हैं ग्रेसिम इंड. लिमि. से निकला केमिकल एवं दुषित जल नाले के माध्यम से चंबंल नदी में मिल रहा है। एनजीटी नई दिल्ली ने याचिका स्वीकार करते हुए ग्रेसिम इंड. का आवेदन खारिज किया एवं यह आदेश दिया कि ग्रेसिम इंड. द्वारा प्रदूषण फैलाया जा रहा है। इसलिये पोल्युटर पेस के सिद्धांत के आधार पर ग्रेसिम इंड. को रू. 75,00,000/- का कंपनसेशन देना होगा। न्यायालय द्वारा यह भी कहा गया है कि पूर्व में गठित जांच कमेटी के द्वारा दिये गये निर्देशो का भी ग्रेसिम इंड. द्वारा पालन नहीं किया जा रहा है। एनजीटी नई दिल्ली ने कलेक्टर उज्जैन को आदेश दिया है कि ज्वाईंट कमेटी के निर्देशो का ग्रेसिम इंडस्ट्रीज से पालन करवाये एवं चंबल नदी को पुनर्जीवित करने का प्रयास करें। कलेक्टर उज्जैन को हर तीन माह में सेक्रेटरी पर्यावरण विभाग म.प्र. को इस बारे में रिपोर्ट भेजना है।
याचिकाकर्ता शंकरलाल प्रजापत द्वारा एनजीटी में बताया कि ग्रेसिम उद्योग के केमिकलयुक्त प्रदूषण से आसपास के 22 गांवो में प्रदूषण फैल रहा है एवं इन गांवो में रहने वाले लोगो को गंभीर बिमारी हो चुकी है तथा वे अकाल मृत्यु को प्राप्त हो रहे है। इस प्रदूषण से इन गांवो के खेतो की फसले बर्बाद हो चुकी है तथा भूमि बंजर हो गई है। इन गांवो के लोगो को पेयजल की उपलब्धता नहीं होने के कारण प्रदूषित पानी पिने को मजबूर है।
याचिकाकर्ता शंकरलाल प्रजापत ने एनजीटी में प्रदूषण के समस्त दस्तावेज प्रस्तुत किये गये जिसे एनजीटी द्वारा ग्रेसिम उद्योग की गंभीर चूक माना एवं उद्योग पर पेनेल्टी लगाते हुए फटकार लगाई है। साथ ही जिला कलेक्टर को भी एनजीटी द्वारा निर्देशित किया गया है कि प्रत्येक माह पर्यावरण विभाग को रिपोर्ट भेजी जाये।