बीजिंग । चीन के शिनजियांग प्रांत के मसले पर पश्चिमी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए बड़ा असमंजस पैदा हो गया है। शिनजियांग में मानव अधिकारों के कथित हनन के मामले में चीन की आलोचना करने वाली कंपनियों को चीन में तीखी प्रतिक्रिया और बहिष्कार का सामना करना पड़ा है। इससे दूसरी कंपनियों के सामने सवाल खड़े हुए हैं। एक तरफ उन पर पश्चिम में ‘नैतिक’ रुख अपनाने का दबाव है तो दूसरी तरफ उन्हें चीन के बड़े बाजार में संभावित नुकसान के बारे में सोचना पड़ रहा है। चीन में पिछले दिनों सोशल मीडिया पर जताए गुस्से के बाद उपभोक्ताओं ने एचएंडएम, नाइकी, एडिडास, बर्बरी, यूनिक्लो और जारा कंपनियों के उत्पादों का बहिष्कार शुरू कर दिया। चीन में उत्पादित होने वाले कुल कपास का 80 फीसदी हिस्सा शिनजियांग में पैदा होता है। वहां कथित तौर पर जबरिया मजदूरी कराए जाने के आरोपों के बाद उपरोक्त कंपनियों ने वहां के कॉटन का इस्तेमाल ना करने का फैसला किया था।
बीते हफ्तों में शिनजियांग मामले पर चीन और पश्चिमी देशों के बीच टकराव तेजी से बढ़ा है। पहले ब्रिटेन, अमेरिका, यूरोपियन यूनियन (ईयू) और कनाडा ने कई चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए। इसके जवाब चीन ने भी उन देशों के अधिकारियों और कुछ संस्थाओं को अपने यहां प्रतिबंधित कर दिया। इसके बाद पश्चिमी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी इस विवाद में फंस गईं। चीन में सोशल मीडिया पर लाखों की संख्या में किए गए पोस्ट में शिनजियांग के बारे में नकारात्मक टिप्पणी करने वाली कंपनियों से माफी मांगने को कहा गया है। लेकिन कंपनियों की मुश्किल यह है कि अगर वे चीन में अपना कारोबार बचाने के लिए ऐसा करती हैं, तो फिर पश्चिमी देशों में उन्हें तीखी आलोचना का सामना करना पड़ेगा। यूनाइटेड बैंक ऑफ स्विट्जरलैंड में एनालिस्ट जुज़ाना पुस्ज ने कहा कि इस बार चीन में हुआ बायकॉट पहले के किसी संकट से अधिक गहरा है। कंपनियां राजनीति के बीच फंस गई हैँ। उन्होंने कहा- ‘अगर कंपनियों से संदेश देने या मॉडल चुनने में कोई गलती होती है, तो वे माफी मांग कर सुधार कर सकती हैं। लेकिन इस मामले में उन्होंने सही काम करने की कोशिश में गलती कर दी। पुस्ज ने ध्यान दिलाया कि कंपनियों के लिए यूरोप में बेटर कॉटन इनिशिएटिव के दिशा-निर्देशों पर अमल करते हुए दिखना जरूरी होता है। बेटर कॉटन इनिशिएटिव जिनेवा स्थित समूह है, जो व्यापार में नैतिकता के पालन संबंधी नियम बनाता है। 2000 से ज्यादा कंपनियां इस समूह की सदस्य हैं। उनमें नाइकी और एचएंडएम भी हैं। इस समूह ने कुछ समय पहले शिनजियांग में उत्पादित कॉटन का बहिष्कार करने का आह्वान किया था। इसके बाद उन कंपनियों ने अपने सप्लायरों से कहा कि वे शिनजियांग का कॉटन ना खरीदें।
चीन ने बेटर कॉटन इनिशिएटिव पर आरोप लगाया है कि वह शिनजियांग के बारे में दुष्प्रचार कर रहा है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय से जुड़े रिसर्चर मेइ शिनयू ने फाइनेंशियल टाइम्स से कहा कि इस समूह को वेरिफिकेशन की अपनी प्रक्रिया में सुधार करना चाहिए। उसे राजनीतिक कार्रवाइयों से दूर रहते हुए तकनीकी मानकों पर ध्यान देना चाहिए। मेइ ने कहा कि उनकी राय में इस समूह पर चीन सरकार का प्रतिबंध लगने ही वाला है। इस बारे में बेटर कॉटन इनिशिएटिव ने कोई टिप्पणी करने से इंकार किया है।
मीडिया रिपोर्टों में कहा कि चीन में बहिष्कार जितने बड़े पैमाने पर हुआ, उसे देखते हुए अब कंपनियां इस मामले में कोई साफ रुख तय करने से बच रही हैं। कुछ कंपनियों ने मिले-जुले संकेत दिए हैं। विश्लेषकों के मुताबिक यह कंपनियों के भीतर इस मामले में पैदा हुए मतभेद और असमंजस का संकेत है। कंपनियों के सामने कारोबार के “नैतिक मानकों” और चीन के बड़े बाजार में से किसी को एक को चुनने की चुनौती है। दरअसल, समस्या यह है कि वे “नैतिक मानकों” से हटती नजर आईं तो उसका असर उनके यूरोपीय और अमेरिकी बाजारों पर पड़ सकता है।
चीन में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की दुविधाः इधर कुआं, उधर खाई
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