मगधी रेंज में बाघ से संघर्ष के बाद तोड़ा दम, गले और कंधे पर घाव मिले; अफसरों ने मौत की जानकारी दो दिन तक दबाए रखी

बाघिन की आयु लगभग 13 वर्ष होने का अनुमान लगाया गया।
एक दिन पहले इसी मगधी रेंज में धधक रही थी आग
लोग बोले- कुछ तो गड़बड़ है, ठोस जांच होनी चाहिए

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के मगधी रेंज के खुशरवाह में बाघिन का शव मिला है। गुरुवार को बाघिन का शव मिलने के साथ ही यहां बाघों की सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल उठा। हालांकि पार्क प्रबंधन बाघिन की मौत को स्वाभाविक बता रहा है, लेकिन एक दिन पहले तक इसी मगधी रेंज के ज्यादातर हिस्सों में आग भड़की थी।

इस वजह से पार्क प्रबंधन का दावा लोगों के गले नहीं उतर रहा है। लोग कह रहे हैं कि कुछ तो गड़बड़ है, जिसकी ठोस जांच जरूरी है। इधर, सामने आया है कि 30 मार्च को मौत हुई लेकिन पार्क मैनेजमेंट दो दिन जानकारी दबाए रखी।

टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर विसेंट रहीम के अनुसार बाघिन की मौत मैटिंग के लिए आपस में लड़ाई से हुई है। उनका दावा है कि जिस स्थान पर बाघिन की मौत हुई है, वहां तक आग नहीं पहुंची थी। इस बीच 31 मार्च से पहले लगातार चार दिनों तक मगधी, खितौली, पनपथा और पतौर रेंज में धधक रही आग पर समय रहते काबू नहीं पाने के कारण भी पार्क प्रबंधन पर सवाल उठ रहे हैं।

फील्ड डायरेक्टर बांधवगढ़ विसेंट रहीम ने बताया 30 मार्च को रात्रि मगधी परिक्षेत्र की रोहनिया बीट में रात्रि एक बाघिन का शव मिला। शव का परीक्षण 31 मार्च को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक, एनटीसीए के प्रतिनिधि और अन्य वन अधिकारियों की उपस्थिति में सहायक वन्य जीव शल्यज्ञ नितिन गुप्ता ने जांचकर सैंपल लिए। इसके पूर्व स्निफर डॉग की सहायता से शव के आसपास परीक्षण कराया गया, जिसमें 500 मीटर दूर एक नर बाघ देखा गया। शव के आसपास भी नर बाघ के पग मार्क मिले। बाघिन के गले और कंधे पर घाव के निशान पाए गए। प्राथमिक रूप से आपसी लड़ाई में बाघिन की मृत्यु होना प्रतीत होता है। शव के आसपास कोई अग्नि दुर्घटना होना नहीं पाया गया। बाघिन की आयु लगभग 13 वर्ष होने का अनुमान लगाया गया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में आग से हुए नुकसान का जायजा लेने वन मंत्री कुंवर विजय शाह बांधवगढ़ आने वाले हैं। बताया जा रहा है कि वह दो अप्रैल से नुकसान का जायजा लेंगे।

वन्यजीवों को भारी नुकसान की आशंका

टाइगर रिजर्व के आसपास निवास कर रहे ग्रामीणों के अनुसार लगातार चार दिनों तक जंगल में आग लगने से भारी नुकसान हुआ है। पक्षियों के घोसले जल गए हैं और सांप सहित दूसरे वन्य प्राणियों को नुकसान हुआ है। वन्य प्राणी प्रेमी बताते हैं कि टाइगर रिजर्व का मगधी रेंज वनस्पतियों के साथ ही विविध वन्य प्राणियों और छोटे जीवों के लिए जाना जाता है, ऐसे में मगधी रेंज तक आग पहुंचने से टाइगर रिजर्व की प्रचुर संपदा को नुकसान पहुंचा है।

नुकसान और कमियां छिपाने में जुटा टाइगर रिजर्व प्रबंधन

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में लगातार चार दिनों तक भड़की आग से हुए नुकसान को लेकर टाइगर रिजर्व प्रबंधन बैकफुट पर है। सूत्रों का कहना है कि टाइगर रिजर्व प्रबंधन आग से हुए नुकसान को छिपाने के साथ ही समय रहते काबू पाने के मामले में कमियां छिपाने की तैयारी में जुटा हुआ है।
 

होली में लापरवाही से ज्यादा नुकसान

टाइगर रिजर्व में होली पर्व के दौरान सुरक्षा को लेकर खतरा बढ़ जाता है। बताया जा रहा है बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने होली पर्व के दौरान जंगल में आग से होने वाले नुकसान को लेकर बेपरवाह रहा। आग लगने की प्रारंभिक सूचना के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया और इस कारण ज्यादा नुकसान हुआ।