कोरोना के बाहने अनावश्यक,ग्रामीणों से मास्क,सोशियल डिस्टेंट एवं अवरलोड के नाम से वसूली नही करें,अन्यथा भोंगर्या हाट ना लगे

अलीराजपुर:- भोंगर्या हाट होली के पूर्व लगने वाला हाट है।जिसमें ग्रामीण बढ़ चढ़कर होली की सामग्री खरीदी करने के लिए एकत्रित होते हैं,जयस जिला अध्यक्ष विक्रम सिंह चौहान ने कहा कि ग्रामीण आदिवासी अंचलों में यह लगने वाला यह भोंगर्या हाट वर्षो से लग रहा है जिसकी आदिवासी समाज में एक अलग ही कहानी है,जिसे बंद करवाना हमारा मकसद नही है।परंतु यह भी है,कि इस हाट में आदिवासी समाज के लोग मजदूरी,दाहड़की करने के लिए अन्य राज्य महाराष्ट्र,गुजरात, राजस्थान से बड़ी मात्रा में पलायन कर वापसी भोगर्या हाट मे आते है,पास के राज्य में कोरोना के केस दिनों दिन बढ़ रहे हैं,संक्रमण फैलता है तो जिम्मेदार कौन रहेगा जिला प्रशासन अपने निर्देश स्पष्ट करें। अरविंद कनेश जयस जिला उपाध्यक्ष ने कहा कि ग्रामीणों को जबरन कार्यवाही कर कोरोना महामारी गाइडलाईन का पालन करवाना गलत होगा। इस महामारी को देखते हुए निर्णय लिया जावे,ग्रामीण द्वारा मजदूरी मेहनत का पैसा रंग में भंग होकर ऐसे शराब,मांस,मन्दिरा में उड़ाते हैं की वह यह सब भूल ही जाते है कि मेरी कितनी मेहनत मजदूरी का पैसा है। वह कड़ी मेहनत के पैसों को हाट में कर्ज चुकाने के बजाय यू ही बर्बाद कर देता है, नशा करने के बाद कई तरह से झगड़े,विवाद एवं वाहनों से आकस्मिक दुर्घटना एक्सर होती देखी गई है,माता पिता व परिवार को जिंदगी भर के कई दुःख को भोगने के लिए मजबूर कर जाते है। छोटे छोटे विवाद चाहे वह घर-परिवार से हो या किसी अन्य से होने पर पुलिस थानों में एवं अन्य जगह रुपये बर्बाद किया जाता है। भोंगर्या हाट के बाद पुनः ब्याज से रुपये उधारी से लेकर किराया-भाड़ा की व्यवस्था कर मजदूरी की ओर पलायन करते हैं कितना नुकसान हुआ यह अंदाजा भोंगर्या हाट खत्म होने के बाद लगता है।जिसकी नुकसान की भरपाई करने के लिए जिंदगी लग जाती है।जब तक की गुजरात से घर वापस आये मजदूरी के लिए ब्याज से लिये गए रुपये,डबल हो गए होते है।

 भोंगर्या हाट को लगाना इस कोरोनो काल में कितना उचित है, कोरोना गाइड लाइन का पालन करना सम्भव नही।

आदिवासी समाज की लोक सभ्यता एवं लोक संस्कृति के प्रतीक भोंगर्या हाट को लेकर जयस राज्य प्रभारी मुकेश रावत ने कहा कि शासन-प्रशासन का निर्णय कहा तक उचित है।देखना यह है कि भोंगर्या हाट को कोरोना काल में भी लगाने का निर्णय आदिवासी समाज के पटेल, पुजारा, तड़वी एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को  शांति समिति की बैठक में बुलाये बिना इस वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौर में भोंगर्या हाट लगाने के निर्णय लिया गया है,यदि हजारों-लाखों लोग संक्रमित होते हैं तो इसके जिम्मेदार कौन  रहेगा। हाट में बिना मास्क, बिना सोशल डिस्टेंटिंग,अवरलोड दो-चार पहिया वाहन के साथ लाख लोग एकत्रित होंगे।बेवजह से पुलिस प्रशासन कोई प्रकार की वसूली ना करें। या तो शासन-प्रशासन की गाइड लाइन का पालन करें या भोंगर्या हाट को ना लगावे, प्रायः देखने में आया है कि प्रशासनिक हो या गैर प्रशासनिक कार्यक्रम जब अनुमति के बहाने पुरजोर रोकने का प्रयास किया जा रहा है ,वही प्रशासन यदि जानबूझकर भोंगर्या  हाट को लगाने की छूट देता है।तो इस बात का भी विशेष ध्यान रखे कि आदिवासी अंचल का मुख्य पेय ताड़ के पेड़ से निकले वाली शुध्द ताड़ी को बेचने पर मटके फोड़ना,उन पर केस दर्ज करना जैसी हरकते ना करें अन्यथा जिसका मुहतोड़ जवाब दिया जावेगा। ग्रामीणों पर चालानी करवाई कर वसूली करना उचित नही होगा।वही मेले में बाइक एवं अन्य चोरी होना और अकारण विवाद जैसी स्थिति के लिए  प्रशासन जवाबदार होगा।वही समाज की बहन बेटियों पर छेड़छाड़ होने पर जयस कार्यकर्ताओं द्वारा उसी बहन के हाथों से छेड़छाड़ करने वालों पर चप्पलों की बरसात कारवाई जावेगी ओर असामाजिक तत्वों को पकड़ कर पुलिस के हवाले किया जावेगा।
ग्रामीण क्षेत्रों मे विदेशी शराब पर किसी भी प्रकार की अवैध शराबो पर कार्यवाही क्यों नहीं की जाती है शराब रसूखदारों का राजनीतीक संरक्षण होने से शासन प्रशासन कार्यवाही से क्यों मुखर रहा है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों ताड़ी रोजगार का अवसर है जिसके कारण परिवार का भरण -पोषण किया जाता है, साथ ही भोंगर्या हाट में विदेश शराब एवं सडी-गली खाद्य सामग्री बिक्री पर पूर्णतः रोक लगाई जावे।इस अवसर पर जय आदिवासी युवा शक्ति के विक्रम कनेश सालम सोलंकी रितु लोहारिया अजमेर भिंडे गोविंद डावर संपत दिनेश  ठाकुर अजनार कार्यक्रता उपस्थित थे।