
किसान महापंचायत में टिकैत की हुंकार:26 मार्च को भारत बंद, MSP पर फसल बेचने संसद भवन करेंगे कूच, किसान कलेक्टोरेट में बेचेंगे फसल
किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत।
पोस्टर फाड़ने पर ली चुटकी- बीजेपी वालों, हम तो मुक्ति आंदोलन चला रहे हैं, आपके बड़े नेता भी बंधक हैं
किसी पार्टी के समर्थन व खिलाफत की ये लड़ाई नहीं, किसानों के हक और बंधन तोड़ने का ये आंदोलन है
संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में सिहोरा कृषि मंडी में सोमवार को किसान महापंचायत हुई। दो घंटे देरी से पहुंचे भाकियू (भारतीय किसान यूनियन) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि ये क्षेत्र नर्मदा मईया का उद्गम स्थल है। युवाओं से ही आंदोलन की शुरुआत होती है। सुभाष चंद्र बोस ने क्रांति की शुरुआत इसी धरती से की।
यहां क्रांति की मशाल अब जलानी पड़ेगी। देश का ये भौगोलिक रूप से भी केंद्र बिंदु है। सरकार आंदोलन को मान नहीं रही है। उन्होंने आह्वान किया कि 26 मार्च को पूरा देश बंद रखने में साथ दें।
राकेश टिकैत ने कहा कि ये सरकार किसी पार्टी की तो है नहीं। बीजेपी के जो लोग पोस्टर फाड़े हैं, उन्हें तो साथ देना चाहिए। उनके बड़े नेता कैद में हैं, उनको मुक्ति दिलाने का आंदोलन है। मुरली मनोहर जोशी जैसे व्यक्ति की अभिव्यक्ति पर ताला लगा दिया गया। ये किसानों की विचारधारा है, जो बंद नहीं होगी। बंदूक के जोर से आंदोलन बंद नहीं होने वाला। किसान तय कर लें, वे अपनी फसल एमएसपी से कम पर नहीं बेचेगा। हम दिल्ली में संसद भवन में फसल बेचेंगे। आप अपने तहसील और जिला मुख्यालय में फसल बेचने ले जाएं।
कृषि उपज मंडी सिहोरा में आयोजित किसान महापंचायत में मौजूद किसान।
देश का नौजवान सो गया, तो देश बिक जाएगा
देश का नौजवान सोया, तो देश बिकेगा। किसानों को एकत्र होकर आंदोलन चलाना होगा। पांच लाख किसान और 25 हजार ट्रैक्टर लेकर हम दिल्ली की बाॅर्डर पर जमे हैं। दिल्ली छोड़कर ये सरकार कोलकाता भाग गई। हम वहां भी गए, लेकिन सरकार वहां भी नहीं थी। दिसंबर तक आंदोलन चलाने का निर्णय ले चुके हैं। हर किसान को आंदोलन से जोड़ना होगा। बीजेपी के जो लोग किसान का समर्थन करें, उनका स्वागत है। जो विरोध करें, उनसे सवाल करो कि एमएसपी पर उनकी फसल खरीद लो।
कृषि कानून में जमीन खो जाएगी
कृषि कानून में आपकी जमीन कंपनियां ठेके पर लेगी। 25 से 30 साल बाद आपकी जमीन नहीं बचेगी। किसान आंदोलन नहीं होता तो केंद्र सरकार कई और किसान विरोधी बिल पास करने वाली थी, जो अभी पाइपलाइन में है। शहरीकरण बिल लागू होगा तो आसपास के गांव में भी 10 साल पुराना ट्रैक्टर, डीजल इंजन नहीं चलेगा।
बिजली बिल सुधार लागू करने वाले हैं। दो पशु भी होंगे, तो किसानों को व्यावसायिक कनेक्शन लेना होगा। पशुधन समाप्त करने की ये चाल है। बिजली के थाने खुलेंगे। सीड बिल भी पाइपलाइन में है। मतलब कि कंपनी का बीज नहीं खरीदा और बोया तो किसानों पर कार्रवाई होगी। इसके लिए सीड थाने खोलने का प्रावधान है।
हाट और साप्ताहिक बाजारों को बंद करने की साजिश
जमीन बचानी है।आगे और आंदोलनों से बचना है, तो कृषि कानून को वापस कराने के लिए इस आंदोलन में शामिल होना होगा। केंद्रीय मंत्रियों की संसद में हैसियत झोला छाप से अधिक नहीं। देश को कंपनी चला रही है, जो वे चाहते हैं, वही कानून बन जाता है। अब देश में साप्ताहिक और हाट बाजारों को समाप्त करने साजिश है। वाॅलमार्ट जैसी विदेशी कंपनियां दो रुपए की सिंदूर 120 रुपए में बेचेंगे और मजबूरी में आपको लेना होगा।
जब तक बिल वापसी नहीं, तब तक घर वापसी नहीं
हमने तय किया है, जब तक बिल वापसी नहीं, तब तक घर वापसी नहीं। दिल्ली बाॅर्डर पर अब तो पक्के मकान भी बनाना शुरू कर दिया है। पुलिस वालों को शिक्षक के बराबर वेतन क्यों नहीं। एमपी-एमएलए को पेंशन मिलेगा, तो इस देश के सरकारी कर्मियों को भी मिलना चाहिए। ये दोहरा चरित्र में अब नहीं चलेगा। देश को आजादी दिलाने 90 साल आंदोलन करना पड़ा था।
अब देखते हैं कि इस कानून को वापस कराने कब तक आंदोलन चलेगा। आप कमर कस लो, हो सकता है कि जमीन जायदाद भी बेचनी पड़े। ये आंदोलन बंधनों को तोड़ने का प्रतीक है। किसान महापंचायत को भाकियू के राष्ट्रीय महासचिव राजपाल शर्मा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बलराम सिंह ने भी संबोधित किया। भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष रमेश पटेल और संभागीय अध्यक्ष संतोष राय मौजूद थे।
भाकियू प्रवक्ता ने मीडिया से भी बात की, बोले- विपक्ष के कमजोर होने से सरकार निरंकुश हुई।
कांग्रेस के हाथ लगी निराशा
किसान महापंचायत को कांग्रेस ने समर्थन दिया था, जबकि कार्यक्रम में पाटन के पूर्व विधायक नीलेश अवस्थी, सिहोरा के पूर्व विधायक नित्य निरंजन खंपरिया, कांग्रेस नगर अध्यक्ष दिनेश यादव, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भारत सिंह यादव समेत कई लोग पहुंचे थे।
मंच पर भीड़ हटाने के लिए 20 मिनट तक बाधित रहा कार्यक्रम
दोपहर तीन बजे किसान प्रवक्ता राकेश टिकैत पहुंचे। उनके साथ फोटो खिंचवाने और चेहरा दिखाने की ऐसी होड़ मची कि मंच पर भीड़ जमा हो गई। मंच संचालक बार-बार चेतावनी लोगों को उतरने के लिए देते रहे, लेकिन कोई हटने को तैयार नहीं था। राकेश टिकैत कार्यक्रम में ट्रैक्टर से पहुंचे।