भोपाल| लगातार कई सालों से पोस्टिंग कभी भोपाल जिला बल में तो कभी भोपाल उड़नदस्ते में, ब्रेक दिखाने के लिए कुछ महीने रीवा रहकर पुनः भोपाल में सालों से जमे हुए हैं। आबकारी विभाग की मेहरबानी से 5 वर्षों से अधिक अवधि से पदस्थ है उक्त आबकारी अधिकारी और आबकारी कर्मचारी जोकि आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार के लगातार लग रहे आरोपों से यह साबित हो जाता है कि लंबे समय तक अगर अधिकारी एक ही जिले में जमे रहते हैं तो स्वाभाविक सी बात है भ्रष्टाचार तो बढ़ेगा 1 जिले से दूसरे जिले में अवैध शराब का आना और लगातार शराब पीकर लोगों का बीमार होना और मौतें होना आपकारी विभाग की घटिया कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े करता है अब देखना यह है अप्रैल में इन अधिकारियों के स्थानांतरण किए जाते हैं या हमेशा की तरह फिर एक बार यह अपनी कुर्सी पर जमे रहते हैं
पाँच वर्षों से अधिक अवधि से पदस्थ हैं :- सहायक जिला आबकारी अधिकारी
(1) श्रीमती प्रीति चौबे, (अवधि 10 वर्ष )
(2) श्री ओमप्रकाश जामोद, (अवधि 10 वर्ष)
(3) श्री गोपाल यादव (अवधि 09 वर्ष )
(4) श्रीमती शहनाज कुरैशी, (अवधि 06 वर्ष )
(5) श्री होशियार सिंह गोयल, ( अवधि 06 वर्ष) (6) श्रीमती सरिता चंदेल, (अवधि 05 वर्ष )
आबकारी उपनिरीक्षक
1. श्रीमती वर्षा उईके, (अवधि 09 वर्ष )
2. श्रीमती बबीता भट्ट मिश्रा, (अवधि 08 वर्ष)
(3) श्री संजय जैन, (अवधि 06 वर्ष)
(4). श्री अतुल दुबे, (अवधि 06 वर्ष)
(5)श्री अभिलाष पाठक, (अवधि 06 वर्ष)
6. श्रीमती प्रतिभा परमार, ( अवधि 06 वर्ष)
प्राप्त शिकायत अनुसार हर साल ट्रांसफर पॉलिसी बनती है जिसमे 3 साल से ज्यादा एक ही जिले में पदस्थ अधिकारियों के जिले से बाहर ट्रांसफर का नियम होता है किंतु उक्त अधिकारियों की सेटिंग इतनी तगड़ी है कि ये दे-ले के हर साल ट्रांसफर सूची से अपना नाम हटवा लेते हैं।
इनमें से कुछ ने शराब ठेकेदारों के साथ पैसा लगाया हुआ है जिसके चलते इनका काफी समय हिसाब किताब में शराब कंपनी के दफ्तर में बीतता है। शराब सिंडिकेट में इनकी हिस्सेदारी इतनी तगड़ी है कि जिले में कितनी और किस कंपनी की या ब्रांड की शराब आएगी ये मोटी कमीशन ले के यही तय करते हैं।
जिले के ठेकेदार पर दवाब बनाने के लिए बगल के होशंगाबाद, रायसेन सीहोर या विदिशा के ठेकेदारों से सेटिंग करके मोटी रिश्वत लेते हैं और इन जिलों की शराब तस्करों की सेटिंग से गैर कानूनी तरीके से भोपाल पहुंचवाते है
विगत दिनों पहले पीएस ने प्राप्त शिकायत पर संज्ञान लेते हुए कई वर्षों से एक ही जिले में जमे ऐसे अधिकारियों की लिस्ट मंगाई थी
लेकिन प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी के द्वारा संज्ञान लेने के बाद भी उक्त अधिकारियों पर किसी प्रकार की कोई स्थान था स्थानांतरण कार्यवाही नहीं की गई प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी के संज्ञान में आबकारी विभाग के बड़े-बड़े भ्रष्टाचार के खुलासे हुए लेकिन प्रमुख सचिव समस्त भ्रष्टाचार के खुलासों को अनदेखा करते हुए मीडिया से लगातार अपना पल्ला रही है ऐसे में प्रमुख सचिव की कार्यप्रणाली पहले की तरह आज भी सवालिया निशानों के घेरे में आ गई है