
शहीद पति से हायर रैंक पाने वाली महिला:नक्सली हमले में SI पति शहीद हुए तो लगा सब खत्म हो गया; लेकिन 3 साल के बच्चे और सास-ससुर में उम्मीद जगाकर बनीं ADOP
अनीता देवास में एडीपीओ के पद पर तैनात हैं।
20 अप्रैल 2000। बालाघाट जिले का चरेगांव थाना। रात में घर और थाने पर पैरलल फोन की घंटी बजी। फोन रिसीव किया। उधर से आवाज आई, कुछ नक्सलवादी डकैती डालने वाले हैं। यह सुनते ही थाना प्रभारी रक्षित शुक्ला ने पिस्टल उठाई और चार आरक्षकों के साथ चल दिए। लौटते वक्त मोड़ पर गोलियों की आवाज आनी शुरू हो गई। नक्सलियों ने टीम पर हमला बोल दिया था। गोली रक्षित के हाथ में लगी। नक्सलियों ने आरक्षक कमल चौधरी को भी निशाना बनाया। रक्षित बचने के लिए जंगल में घुसे, तो नक्सलियों ने घेर लिया।
हमलावरों ने एके-47 से सीना छलनी कर दिया। इसके बाद चाकू से भी वार किए। ये घटना बयां करते हुए रक्षित की पत्नी अनीता शुक्ला आज भी रो पड़ती हैं। इस दर्दनाक दास्तां से उबरकर अनीता वर्तमान में अतिरिक्त लोक अभियोजन अधिकारी यानी ADPO के पद पर इंदौर में पदस्थ हैं।
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शुक्ला ने बताया, रक्षित और उनकी शादी 27 जनवरी 1995 को हुई थी। उस समय वे रतलाम में एसआई थे। एक साल बाद जावरा तबादला हुआ। 1999 में बालाघाट भेज दिया गया। शादी के 2 साल बाद अक्षत उर्फ अकरांत शुक्ला का जन्म हुआ। जब हम बालाघाट में थे, तब अक्षत 3 साल का होने वाला था। अनीता ने बताया, 20 अप्रैल को घटना के बाद फोर्स पहुंचने में करीब 6 घंटे लगे, क्योंकि घटनास्थल चरेगांव से करीब 35 किलोमीटर दूर था।
पहले नहीं हुई थी ऐसी घटना
अनीता ने बताया, रक्षित की पोस्टिंग के पहले ऐसी घटना क्षेत्र में नहीं हुई थी। घटना के एक दिन पहले ही रक्षित ने वहां क्रिकेट टूर्नामेंट कराया गया था, जिससे जनता और पुलिस के बीच समन्वय रहे। लेकिन टूर्नामेंट के प्रमाण पत्र नहीं बंट पाए, क्योंकि उसमें रक्षित शुक्ला का भी नाम था। वह थानेदार थे। आज भी वह सर्टिफिकेट इसी तरह से रखे हैं।
अनीता ने बताया, घटना वाले दिन नक्सलियों की सूचना मिलने पर रक्षित बिना नाश्ता किए ही चले गए थे। 21 अप्रैल अंतिम संस्कार हुआ। तत्कालीन एसपी संजीव शमी और डीजीपी सुभाष त्रिपाठी ने अनीता को सब इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त करने की बात कही, लेकिन ससुर रमेश चंद्र शुक्ला ने यह कहकर इनकार कर दिया कि मैं बेटे को खो चुका हूं, अब बेटी नहीं खोना चाहता। अनीता शादी से पहले लॉ की पढ़ाई कर रही थीं। उन दस्तावेजों के आधार पर 16 मई 2001 को एडीपीओ देवास में पोस्टिंग मिली। तब ससुर रमेश चंद्र शुक्ला देवास के केपी कॉलेज में एचओडी थे।
पेपर देने को लेकर हुई थी बहस
अनीता ने शादी के बाद लॉ की पढ़ाई पूरी करने के लिए झगड़ा किया था। उस समय अनीता और रक्षित बालाघाट में थे। परीक्षा देने के लिए अनीता को देवास आना पड़ता था। रक्षित ने कहा था कि तुम्हें नौकरी की क्या जरूरत है। पढ़ाई पूरी न भी करो, तो चलेगा।
16 मई 2001 में एडीपीओ देवास ज्वाॅइन करने के बाद अनीता शाजापुर आ गई। कई जगह अनीता ने परिवार की देखरेख और बच्चे की पढ़ाई के लिए स्ट्रगल किया। 2005 में इंदौर पोस्टिंग हो गई। अनीता 5 साल मध्य प्रदेश अभियोजन संघ की अध्यक्ष भी रही हैं। सीडीटी गाजियाबाद जो पुलिस का केंद्र है। वहां पुलिसकर्मियों को ऑनलाइन शिक्षा भी देती हैं। महिला दिवस पर संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि हिम्मत नहीं हारना चाहिए। यदि महिला चाहे, तो कुछ भी कर सकती है।