जब सोफा छोड़कर जमीन पर बैठ गए सिंधिया, सुने मुनिश्री विहर्ष सागर के प्रवचन
पंच कल्याण महोत्सव में पहुंचे राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कुछ इस अंदाज में जमीन पर बैठकर मुनिश्री के प्रवचन सुने
फूलबाग पर चल रहा है पंच कल्याण महोत्सव
सिंधिया बोले यह हमारा सौभाग्य है कि पंच कल्याण महोत्सव यहां हो रहा है
शनिवार को भाजपा नेता व राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर प्रवास पर हैं। दोपहर 12 बजे वह एयरपोर्ट से सीधे फूलबाग पंच कल्याण महोत्सव में पहुंचे। यहां मुनिश्री का आशीर्वाद लेने के बाद वह सभी के बीच में जाकर जमीन पर बैठ गए। यह देख सभी लोग आश्चर्य में पड़ गए। पहली बार लोगों ने ग्वालियर स्टेट के सिंधिया को इस तरह जमीन बैठते हुए देखा। जमीन पर बैठकर ही उन्होंने मुनिश्री विहर्ष सागर के प्रवचन सुने। साथ ही कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि पंच कल्याण महोत्सव ग्वालियर की धरती पर हो रहा है। इसका पूरा आनंद उठाएं और आशीर्वाद लीजिए।
पंच कल्याण महोत्सव में पहुंचकर राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, मुनिश्री विहर्ष सागर से आशीर्वाद लेते हुए
शनिवार सुबह विशेष विमान से राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर पहुंचे। एयरपोर्ट पर कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया। इसके बाद वह सीधे सड़क मार्ग से पंच कल्याण महोत्सव फूलबाग मैदान पहुंचे। यहां पहुंचकर मुनिश्री विहर्ष सागर, मुनिश्री आदि कुमार का आशीर्वाद लिया। साथ ही उनको पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया। वहां पर दीप जलाकर कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। इसके बाद सिंधिया ने करीब 15 मिनट तक सामान्य श्रोताओं की तरह उनके बीच जमीन पर बैठ कर प्रवचन सुने, जबकि उनके लिए सोफा लगाया गया था। इसके बाद वह थाटीपुर पहुंचे और यहां संत रविदास जयंती के अवसर पर कार्यक्रम में भाग लिया। वहां सम्मान समारोह में लोगों का सम्मान किया। इसके बाद वह करहधाम के लिए रवाना हो गए।
संत रविदास जयंती पर हुए सम्मान समारोह में शामिल हुए सिंधिया
कोरोना खत्म यह प्रार्थना की
पंच कल्याण महोत्सव में शामिल होने आए सिंधिया ने कहा कि जैन समाज की 60 प्रतिमाएं हैं जिनकी प्राण प्रतिष्ठा हुई है। मैंने यहां कोरोना वायरस के खत्म होने के लिए और हालात ठीक होने की प्रार्थना की है।
क्षमा मांगने की आदत सभी को डालनी चाहिए
कार्यक्रम में सिंधिया ने कहा कि क्षमा वाणी का पर्व जैन समाज में होता है। यह बहुत अच्छी परम्परा है। मैं तो हर साल यह परंपरा को अपनाता हूं। कोई गलती हो जाए तो उसे मानकर क्षमा मांग लेना चाहिए।