लंदन । कोविड-19 के बदलते सभी स्वरूपों (स्ट्रेन्स) को शिकस्त देने वाली यूनिवर्सल वैक्सीन तैयार होने में एक साल का समय लगेगा। ये दावा किया है ब्रिटिश साइंटिस्ट्स ने। वैज्ञानिकों का दावा है कि एक साल में जो वैक्सीन बनेगी, उससे कोरोना के किसी भी स्ट्रेन यानी वैरिएंट या वायरस को हराया जा सकेगा। ब्रिटिश साइंटिस्ट फिलहाल दुनिया में मौजूद सभी कोरोना वैक्सीन की स्टडी कर रहे हैं। नॉटिंघम यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स ऐसी वैक्सीन बनाने के प्रयास में है, जो कोरोना वायरस की बाहरी कंटीली परत पर नहीं, बल्कि उसके केंद्र पर हमला करे। कोरोना वायरस के बाहरी कंटीली प्रोटीन परत के बजाय वैक्सीन उसके केंद्र यानी न्यूक्लियोकैप्सिड प्रोटीन को निष्क्रिय या कमजोर करेगा। नॉटिंघम यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स के साथ यूके की दवा कंपनी स्कैनसेल इस वैक्सीन को विकसित करने के काम में लगी है। यह कंपनी कैंसर की दवाएं बनाती है। यूनिवर्सिटी और दवा कंपनी दोनों मिलकर न्यू वैरिएंट-प्रूफ कोरोना वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं। उम्मीद है कि यह वैक्सीन 2022 तक बनकर तैयार हो जाएगी। 
वैज्ञानिकों का मानना है कि यूनिवर्सल कोरोना वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल इस साल की दूसरी छमाही में शुरू हो जाएगा। फिलहाल इस वैक्सीन की जांच साइंटिस्ट्स लोग चूहे पर करेंगे। उससे मिली सकारात्मक रिपोर्ट्स के बाद ही इंसानी ट्रायल्स होंगे। स्कैनसेल चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. गिलिस ओब्रायन टीयर ने कहा कि फिलहाल मैं ये नहीं कह सकता कि पैन-कोरोनावायरस वैक्सीन होगी, लेकिन इसमें वो क्षमता है। क्योंकि ये कोरोना वायरस की जिस स्थान पर हमला करेगी, उस स्थान की वजह से ये कई वैरिएंट्स को मारने में सक्षम हो जाएगी। या फिर उन्हें निष्क्रिय कर देगी। कोरोना महामारी के खिलाफ जैसे-जैसे इंसान संघर्ष करने की तैयारी कर रहा है, उसके साथ-साथ कोरोना वायरस लगातार म्यूटेट हो रहा है। इसलिए एक ऐसी वैक्सीन की जरूरत है जो कई वैरिएंट्स यानी कोरोना स्ट्रेन्स को एक ही हमले में निष्क्रिय कर सके। पुराने कोरोना वायरस की लहर के बाद तीन नए वैरिएंट्स ने दुनिया को परेशान कर रखा है। 
तीन नए वैरिएंट्स या स्ट्रेन्स जो सामने आए हैं, वो हैं दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट, ब्राजिलियन स्ट्रेन और ब्रिस्टल। इसकी वजह से पूरी दुनिया की हेल्थ इंडस्ट्री डरी हुई है। लगातार वैक्सीन की ताकत और क्षमता बढ़ाने में लगी हुई है। फिलहाल फाइजर और एस्ट्राजेनेका की जो वैक्सीन पूरी दुनिया में लगाई जा रही हैं, वो कोरोना वायरस की बाहरी परत पर हमला करती हैं। बाहरी परत को निष्क्रिय करने से काम नहीं बनेगा। क्योंकि कोरोना के केंद्र में होने वाले बदलावों से इसका म्यूटेशन बढ़ रहा है। नए वैरिएंट निकल कर सामने आ रहे हैं। इसलिए नई यूनिवर्सल वैक्सीन का लक्ष्य कोरोना वायरस का केंद्र है। ताकि वह म्यूटेट भी करें तो घबराने वाली बात न हो। 
ब्रिटिश वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि कोरोना वायरस को निष्क्रिय करने में यूनिवर्सल वैक्सीन दुनिया भर के लोगों को सामान्य जीवन जीने की राह पर वापस ले आएगी। फिलहाल स्कैनसेल दवा कंपनी ने ज्यादा फंडिंग की मांग की है ताकि इस वैक्सीन को जल्द से जल्द विकसित कर लोगों के बीच पहुंचाया जा सके।