जबलपुर। बाल अपराधों के परिपेक्ष्य में भारत में प्रभावी कानूनी व्यवस्थाएं हैं। एकीकृत बाल संरक्षण अधिनियम एवं बच्चों के विरुद्ध लैंगिक अपराध जैसे कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए पुलिस एवं महिला बाल विकास विभाग का आपसी एवं प्रभावी समन्वय अत्यंत आवश्यक है। इन कानूनों में दोनों विभागों को बेहद संवेदनशीलता के साथ कार्य करना चाहिए। इस आशय के विचार बच्चों के अधिकार एवं पुलिस विषय पर केन्द्रित कार्यशाला में विचार श्रीमती गिरीबाला सदस्य सचिव राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव शरद भामकर ने भी दोनों कानूनों के क्रियान्वयन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। बच्चों के अधिकार एवं पुलिस की भूमिका विषय पर केंद्रित इस कार्यशाला में विषय प्रवर्तन संजय अब्राहम सहायक संचालक ने किया।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के ब्रांड एंबेसडर कुमारी उन्नति तिवारी ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास श्रीमती शशि श्याम उईके ने महिला बाल विकास विभाग द्वारा बाल संरक्षण अंतर्गत संचालित संस्थाओं के प्रबंधन एवं सर्वेक्षण एवं विभागीय कार्यक्रमों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई। आवाज संस्था के प्रतिनिधि प्रशांत दुबे ने मध्य प्रदेश तथा महाकौशल क्षेत्र में चाइल्ड ट्रैफिकिंग की स्थिति प्रस्तुत करते हुए उससे बचने तथा ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए उठाए जा रहे कदमों तथा उनमें स्वयंसेवी संस्थाओं की भूमिका तथा महत्व को उदाहरण के साथ प्रस्तुत किया। इसके अतिरिक्त अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक साउथ दीपक खांडेल ने पुलिस विभाग द्वारा उठाए गए कदमों एवं विभाग के मैदानी अमले को इन कानूनों से निरंतर प्रशिक्षित करते रहने के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। तकनीकी सत्र में प्रशांत दुबे, प्रांशु जॉर्ज, सहायक लोक अभियोजन अधिकारियों क्रम शहर श्रीमती स्मिता ठाकुर ऋतुराज कुमरे, सरिता यादव ने विचार व्यक्त किए। एक दिवसीय आयोजन का आभार प्रदर्शन श्रीमती नंदनी सराफ ने किया।
बाल अपराधों के संदर्भ में आपसी तालमेल बेहद जरूरी
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