पुलिस अभिरक्षा एवं जेल में बंदी की मौत पर उत्तराधिकारियों को पांच-पांच लाख रूपये एक माह में दें

आयोग ने की अनुशंसा
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने दो अलग-अलग मामलों में राज्य शासन से पुलिस अभिरक्षा एवं जेल में बंदी की मौत पर मृतकों के निकटतम उत्तराधिकारियों को पांच-पांच लाख रूपये (कुल दस लाख रूपये) एक माह में देने की अनुशंसा की है। आयोग ने प्रकरण क्र. 5244/सिवनी/2019 में सिवनी जिले के छपारा पुलिस थाने में अभिरक्षा में संदेही सुरेश सनोडिया की मौत हो जाने तथा प्रकरण क्र. 1883/ग्वालियर/2017 में दण्डित बंदी शेख नसरूल्ला की जेल अभिरक्षा में पहरे के दौरान आई चोटों के कारण उसकी मृत्यु हो जाने के मामले में यह अनुशंसाएं की हैं।
सिवनी वाले प्रकरण में आयोग द्वारा एक दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर ’’प्रताड़ना की घटना को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही पुलिस’’ पर 02 अगस्त 2019 को संज्ञान में लिया गया था। सुरेश पिता मंगलप्रसाद सनोडिया को अपराध क्र. 277/19 धारा 302,201 भादवि में पूछताछ की जा रही थी। इस दौरान सुरेश कमरे से अचानक बाहर भागा और छत से नीचे कूद गया। उसे छपारा के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। इससे अभिरक्षा में लेने के पश्चात उसके जीवन, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के अधिकार के संरक्षण के दायित्व की उपेक्षा से उसकी मृत्यु एवं उसके मानव अधिकारों की घोर उपेक्षा हुई।
ग्वालियर वाले प्रकरण में अधीक्षक, केन्द्रिय जेल, ग्वालियर की सूचना पर 20 मार्च 2017 को यह प्रकरण संज्ञान में लिया गया था। केन्द्रिय जेल अधीक्षक की सूचना के अनुसार दण्डित बंदी शेख नसरूल्ला, जो गम्भीर हालत में जे.ए.एच. ग्वालियर में उपचार हेतु 10 मार्च 2017 को भर्ती हुआ था, की तबीयत में सुधार न होने पर उसे एम्स, नई दिल्ली रेफर किया गया था, जहां उपचार के दौरान 20 मार्च 2017 को उसकी मृत्यु हो गई। इससे मृतक के जीवन, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के मानव अधिकारों की घोर उपेक्षा हुई।
अतः दोनों ही मामलों में आयोग द्वारा राज्य शासन को दोनों मृतकों के निकटतम उत्तराधिकारियों को पांच-पांच लाख रूपये क्षतिपूर्ति राशि एक माह में दे देने की अनुशंसा की है।