नई दिल्ली। दिल्ली व आगरा के बीच 160 किलोमीटर की रफ्तार से सेमी हाईस्पीड शताब्दी ट्रेन नवंबर से चलने की संभावना है। इसमें नए डिजाइन की बोगियों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसी के साथ रेलवे ने 200 किलोमीटर स्पीड के लिए ट्रैक, इंजन और बोगियों में सुधार की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं।रेल मंत्रालय से जुड़े आधिकारिक सूत्रों के अनुसार 160 किलोमीटर की रफ्तार की दिल्ली-भोपाल शताब्दी ट्रेन नवंबर से चलाए जाने के लिए रेलवे ने कमर कस ली है। पिछले दिन हुए फाइनल ट्रायल के बाद इस ट्रेन की नई समय सारणी बनाई जा रही है जिसके तहत निजामुद्दीन से इसके रवाना होने और आगरा पहुंचने के समय में कुछ बदलाव होने की संभावना है।

इस ट्रेन के लिए कपूरथला कोच फैक्ट्री में नए डिजाइन की 14 बोगियां तैयार की गई हैं। हालांकि इसकी पहली सेमी हाईस्पीड यात्रा में इनमें से महज दस बोगियों का इस्तेमाल होने की संभावना है। बाकी चार रिजर्व रखी जाएंगी। नई बोगियों में कई बदलाव किए गए हैं। जैसे कि नया कपलर सिस्टम, गलियारों में स्लाइड होने वाले आटोमैटिक दरवाजे, फायर अलार्म सिस्टम तथा एक्जीक्यूटिव क्लास की चेयर्स के पीछे टीवी व एलईडी लाइट्स की सुविधा। इन बोगियों पर सवा दो से ढाई करोड़ रुपये की लागत आई है। 160 किलोमीटर स्पीड के लिए शताब्दी के इंजन में कोई बदलाव नहीं करना पड़ा है।

इस बीच रेलवे ने शताब्दी और राजधानी ट्रेनों की रफ्तार 200 किलोमीटर तक बढ़ाने के प्रयास भी तेज कर दिए हैं। इसके तहत ट्रैक, इंजन और कोच तीनों में सुधार किए जाएंगे। इस संबंध में रेल भवन में उन सभी जोनों के अधिकारियों की बैठक हो चुकी है जिनमें सेमी हाईस्पीड ट्रेनें चलाई जानी हैं। रेलमंत्री सदानंद गौड़ा ने रेल बजट में दिल्ली-आगरा समेत नौ रूटों पर सेमी हाईस्पीड ट्रेनें चलाने का एलान किया था। बैठक में उत्तर रेलवे के अधिकारियों ने बाकी जोनों के अफसरों को शताब्दी की स्पीड बढ़ाने के लिए अपनाए गए उपायों पर प्रजेंटेशन दिया। अब इन्हीं उपायों के आधार पर बाकी आठ सेमी हाईस्पीड रूटों पर सुधार के कार्य होंगे। हालांकि सूत्रों का कहना है कि कुछ रूटों में फेरबदल भी संभव है।

दो सौ किलोमीटर तक रफ्तार के लिए शताब्दी में लगने वाले मौजूदा वैप-5 इंजन के ट्रांसमिशन सिस्टम को बदलना पड़ेगा। इसके लिए जर्मनी से नया ट्रांसमिशन सिस्टम आयात किया जा रहा है। इंजन में सुधार की जिम्मेदारी चितरंजन लोकोमोटिव कारखाने को सौंपी गई है। इसके अलावा बोगियों को भी और उन्नत बनाया जाएगा। इसके लिए भी कपूरथला फैक्ट्री में काम शुरू हो गया है। दो सौ किमी वाली बोगियों में बाहरी दरवाजे भी ऑटोमेटिक होंगे। साथ ही ब्रेक प्रणाली और वेस्टीब्यूल [दो बोगियों को जोड़ने वाला गलियारा] का डिजाइन भी अलग होगा। रफ्तार बढ़ाने से पहले ट्रैक पर दोनों ओर बाड़ भी लगाई जाएगी।