चोटी काटने के अंधविश्‍वास में लोग बेकसूर और मासूमों को भी शिकार बना रहे हैं. आगरा में एक महिला को चुड़ैल के शक में मौत के घाट उतारने केसाथ ही मेवात में भी लोगों ने क्रूरता की हदें पार कर दीं.

मेवात जिले के नगीना ब्‍लॉक के गांव बुखारा में लोगों ने सरेआम एक बिल्‍ली को मौत दे दी. भीड़ में से कुछ लोगों ने बिल्‍ली को उठाया और उसकी गर्दनमरोड़ दी. उस मासूम का कसूर सिर्फ इतना था कि जब चोटी काटने की घटना हुई तो बिल्‍ली वहीं बैठी थी.

बताते हैं कि बुखारा में एक महिला की चोटी कट गई. यह सूचना गांव में आग की तरह फैल गई. महिलाओं ने बताया कि कोई महिला आई थी जो बिल्‍लीजैसी थी और चोटी काटकर ले गई. इतने में ही किसी की निगाह पास में ही बैठी बिल्‍ली पर गई.

 

लोगों ने चोटी काटने के शक में बिल्‍ली को उठा लिया और बिल्‍ली की गर्दन मरोड़ कर उसे मौत दे दी. ऐसे में अशिक्षा और अंधविश्‍वास की कीमत एकबिल्‍ली को जान देकर चुकानी पड़ी.

चोटी काटने की अफवाह से दिल्‍ली में बढ़ी फेक कॉल्‍स, डीसीपी ने की अपील

चोटी काटने की घटनाओं की अफवाह से दिल्‍ली पुलिस भी परेशान है. वहीं, फेक कॉल्‍स की घटनाएं भी बढ रही हैं. ऐसे में इन अफवाहों को रोकने के लिए बाहरी दिल्‍ली के डीसीपी एमएन तिवारी ने ऑडियो मैसेज जारी किया है.

डीसीपी ने मीडिया से ऐसी खबरों को प्रमुखता न देने की अपील की. साथ ही लोगों से भी धैर्य रखने और ऐसी अंधविश्‍वास वाली खबरों पर भरोसा करने के बजाय वैज्ञानिक सोच को फैलाने की अपील की.

यह है डीसीपी का संदेश

मीडिया के सभी दोस्‍तों से एक पुलिस ऑफिसर होने के नाते मेरी एक अपील है. बाल काटने की जो घटनाएं प्रमुखता से मीडिया में प्रकाशित हो रही हैं ये लोगों के दिमाग पर गलत असर डाल रही हैं. खासतौर पर बच्‍चों के.

बच्‍चों के मन में ये सवाल उठ रहा है कि क्‍या ये घटनाएं सच हैं.

यहां तक कि मेरी आठ साल की बेटी ने मुझसे पूछा कि क्‍या ये घटनाएं सच्‍ची हैं. मैंने उसे समझाने की कोशिश की कि ये घटनाएं सच नहीं हैं. ये अफवाह और भ्रम हैं.

हमारे संविधान में दर्ज मौलिक कर्तव्‍य कहता है कि हमें ऐसी अंधविश्‍वासी घटनाओं को फैलाने के बजाय वैज्ञानिक सोच को आगे बढ़ाना चाहिए. कोई अदृश्‍य चीज या व्‍यक्ति, बंद घरों के अंदर भी चोटी काटने की घटनाओं को अंजाम दे रहा है, इस पर विश्‍वास करना भी मौलिक कर्तव्‍यों के खिलाफ है. वहीं, इन घटनाओं को लेकर चलाई जा रही खबरें भी एक भय वाला माहौल बना रही हैं. यही वजह है कि कुछ लोग इसका फायदा उठाकर गलत सूचनाएं दे रहे हैं और सनसनी फैला रहे हैं. बाहरी दिल्‍ली में हमने एक केस को गहराई से देखा तो पाया कि ये घटनाएं फेक हैं. यह किसी का पब्लिसिटी स्‍टंट है. ऐसे में मेरी अपील है कि ऐसी घटनाओं को बढ़ावा न दें. यह मनोवैज्ञानिक तौर पर प्रभावित करने वाली अफवाह है. यह पुलिस का भी मामला नहीं है. इसे लोगों को समझना होगा. हालांकि, दिल्‍ली पुलिस जांंच कर रही है. इन अफवाहों को लेकर  पुलिस पर दबाव बनाना भी उचित नहीं है.