उज्जैन । सम्राट विक्रमादित्य के शासन काल में यह देश सोने की चिड़िया था। वें किसी को मुफ्त में कुछ नहीं देते थे, उनके पास जो भी आता उसे रोजगार से जोड़ते थे। उस समय उज्जैन के छोटे छोटे घरों में लोग वस्तुओं का निर्माण करते थे, उन वस्तुओं का व्यापार विदेशों में होता था और वहां से स्वर्ण मुद्राओं के रूप में धन हमारे देश को प्राप्त होता था। राजा विक्रमादित्य के खजाने में असंख्य स्वण मुद्राओं का भंडार था, उसी से यह देश सोने की चिड़िया कहा जाता था। यह बात बड़नगर रोड पर चल रही श्री शिव महापुराण कथा के चौथे दिन सीहोर के प्रसिद्ध कथा वाचक पं.प्रदीप मिश्रा ने भक्तों से कही। उन्होंने कहा कि जनता को रोजगार उपलब्ध कराने से संपन्नता आती है। भगवान ने मनुष्य को वैसे ही नहीं बनाया है। प्रत्येक व्यक्ति को कोई ना कोई हुनर दिया है, जिसे पहचानकर उस दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है। बता दें उज्जैन में शिव महापुराण श्री विक्रमादित्य महाकाल शिव महापुराण के नाम से की जा रही है। पं.मिश्रा प्रतिदिन राजाधिराज महाकाल व सम्राट विक्रमादित्य का गुणगान करते हुए इस नगरी के महत्व को प्रतिपादित कर रहे हैं।कथा प्रसंग में चौथे दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ। कथा सुनने के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालु उज्जैन आए हुए हैं।
उज्जैन में बोले पंडित प्रदीप मिश्रा- सम्राट विक्रमादित्य प्रजा को रोजगार देते थे, विदेशों में होता था यहां का व्यापार
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