व्हाट्सएप पर तलाक, नौकरी के आॅफर लेटर और शादी के प्रपोजल आदि के बारे में आपने खूब सुना होगा पर अब कोर्ट का समन भी इस तरह भेजा गया है. भारत में ये पहला मामला है जब व्हाट्सएप के जरिए एक पक्ष को कानूनी समन भेजा गया. यही नहीं डिलिवरी मैसेज को बतौर साक्ष्य भी कोर्ट में माना गया.
मनीकंट्रोल डॉट कॉम के मुताबिक ये मामला हरियाणा का है. यहां वित्त आयुक्त की अदालत ने प्रॉपर्टी विवाद के एक मामले में सुनवाई करते हुए एक पक्ष को व्हाट्सएप के जरिए समन भेजा और पेश होने को कहा. गौरतलब हो कि कोर्ट आॅफ फाइनेंस कमिश्नर जिसने ये आदेश जारी किया है उसके प्रमुख आईएएस अधिकारी अशोक खेमका
खबरों के मुताबिक अदालत को व्हाट्सएप के जरिए समन भेजने का फैसला इसलिए करना पड़ा क्योंकि मामले का एक पक्ष अपना गांव छोड़कर नेपाल की राजधानी काठमांडू रहने लगा है. आमतौर पर अदालत का समन या कोर्ट आॅर्डर रजिस्टर्ड डाक द्वारा उसके पते पर भेजा जाता है. लेकिन खेमका ने अपने आदेश में कहा कि कानून भी टेक्नोलॉजी के इस युग में आगे बढ़ रहा है और उसका अनुसरण भी कर रहा है.
हरियाणा के हिसार जिले में एक गांव के तीन भाइयों के बीच जायदाद का विवाद चल रहा है. यह मामला वित्त आयुक्त की अदालत पहुंचा जिसे हरियाणा में अर्ध-न्यायिक निकाय की संज्ञा दी गई है. खेमका की अदालत ने 6 अप्रैल को व्हाट्सएप के जरिए इस मामले के एक पक्ष को पेशी के लिए समन भेजा था. वह जिस गांव में रहता था, उसे छोड़कर काठमांडू चला गया. पर उसका स्थानीय पता अदालत के पास अपडेट नहीं कराया गया और किसी भी दूसरे पक्ष को इसकी जानकारी भी नहीं थी. सिर्फ मोबाइल फोन नंबर होने की वजह से कोर्ट ने उसे व्हाट्सएप के जरिए समन भेजा गया. हालांकि उसने कोर्ट में पेश होने से न सिर्फ इनकार कर दिया बल्कि अपना काठमांडू का पता भी देने से मना कर दिया.
कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा, स्थानीय पता जरूरी नहीं की हमेशा स्थानीय रहे. लेकिन ईमेल और मोबाइल फोन नंबर इसकी तुलना में ज्यादा स्थायी होते हैं. कानून भी कोई जीवाश्म जैसा नहीं है, ये जीवित है और इसे भी तकनीक के हिसाब से बदलना चाहिए. इसलिए फोन या ईमेल से भी किसी को समन भेजा जा सकता है. खेमका ने ये भी कहा कि व्हाट्सएप मैसेंजर पर भेजे गए समन की डिलिवरी रिपोर्ट के प्रिंटआउट को साक्ष्य के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाएगा.