आम आदमी पार्टी (आप) मध्य प्रदेश के संयोजक आलोक अग्रवाल ने प्रदेश सरकार पर वर्षों से अधूरी पड़ी महेश्वर जल विद्युत परियोजना को पूरा कर एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने की आशंका जताई है। उनका आरोप है कि इस परियोजना के शुरू होने से राज्य की जनता की 42 हजार करोड़ रुपये की रकम डूबेगी। अग्रवाल का आरोप है कि कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के काल और अब बीजेपी के कार्यकाल में निजी कंपनी की भरपूर मदद की गई है।

पार्टी के प्रदेश कार्यालय में गुरुवार को अग्रवाल ने कहा कि खंडवा जिले में नर्मदा नदी पर एस कुमार्स द्वारा प्रस्तावित महेश्वर परियोजना कई वर्षों से लंबित पड़ी है। इस परियोजना को शुरू कराने में राज्य सरकार खास दिलचस्पी ले रही है। यही कारण है कि शुक्रवार 31 मार्च को उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई है।

अग्रवाल ने बताया, 'नर्मदा नदी पर बनाई जा रही महेश्वर जल विद्युत परियोजना को निजीकरण के तहत 1994 में एस कुमार्स कंपनी को दिया गया था। शुरुआत से ही इस परियोजना पर आरोप था कि इससे बनने वाली बिजली महंगी पड़ेगी। इतना ही नहीं इस परियोजना से प्रभावित होने वाले 60 हजार परिवारों के पुनर्वास की कोई व्यवस्था नहीं हुई है।'

अग्रवाल ने कहा, '400 मेगावॉट क्षमता की महेश्वर परियोजना की वर्तमान लागत लगभग 6,500 करोड़ रुपये है। इस परियोजना से साल में मात्र 80 करोड़ यूनिट बिजली पैदा होगी और इस बिजली की कीमत करीब 20 रुपये प्रति यूनिट होगी। जबकि वर्तमान में विद्युत कंपनियों के पास 23 सौ करोड़ यूनिट बिजली अतिरिक्त है, जिसे वह दो रुपये 45 पैसे यूनिट की दर पर अन्य राज्यों को बेचना चाहता है। इससे साफ है कि महेश्वर परियोजना की बिजली की राज्य को जरूरत नहीं है।'

उन्होंने कहा, 'वहीं जो बिजली इस कंपनी से बनेगी उसे राज्य सरकार को आठ गुना महंगा खरीदना पडे़गा। ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनी से बिजली खरीदने का सरकार ने समझौता किया है। बिजली न खरीदने पर लगभग 12 सौ करोड़ रुपये प्रतिवर्ष सरकार को निजी परियोजनाकर्ता को देना होगा। यह क्रम 35 वर्ष तक चलेगा। इस तरह 35 वर्ष में बिना बिजली खरीदे 42,000 करोड़ों रुपये मध्य प्रदेश सरकार को कंपनी को देने होंगे।'

अग्रवाल का आरोप है कि महेश्वर परियोजना के संबंध में मध्य प्रदेश सरकार ने एस्क्रो गारंटी दे रखी है। इस गारंटी के अनुसार, विद्युत मंडल को होने वाली आय पर पहला अधिकार महेश्वर परियोजनाकर्ता का होगा। इस गारंटी के अनुसार भले ही विद्युत मंडल के कर्मचारियों की तनख्वाह का भुगतान न हो, परंतु परियोजनाकर्ता को सबसे पहले भुगतान हो जाएगा। चौंकाने वाली बात यह है कि महेश्वर परियोजना से एक भी यूनिट बिजली न बनने के बावजूद मध्य प्रदेश विद्युत मंडल 100 करोड़ से अधिक रुपये इस एस्क्रो गारंटी के तहत परियोजना के लिए दे चुका है।

अग्रवाल ने कहा, 'महेश्वर परियोजना शुरू से ही घोटालों से घिरी रही है। इस पर कैग ने भी कई बार सवाल उठाए हैं। वर्ष 2014 की कैग रिपोर्ट में तो समझौता रद्द करने की बात कही गई थी। इतना ही नहीं विद्युत मंडल भी समझौता रद्द करने का चार वर्ष पूर्व नोटिस दे चुका है।'