भोपाल। एनजीटी ने प्रदेश में नर्मदा और चंबल नदियों पर बिना पर्यावरणीय मंजूरी के चल रहीं 450 खदानों के मामले में केंद्र व राज्य के पर्यावरण मंत्रालय को नोटिस जारी किया है। इनमें 120 सरकारी खदानें भी शामिल हैं। 2009 से चल रही इन खदानों से स्टेट एनवायरोमेंट इम्पेक्ट असिसमेंट अथॉरिटी (सिया) की अनुमति के बिना लगातार रेत खनन किया जा रहा है।
राज्य सरकार का उपक्रम स्टेट माइनिंग कॉर्पोरेशन भी इस उल्लंघन में शामिल है। जस्टिस पीएस वांगड़ी और एसएस गर्बियाल की ज्युरी ने केंद्र व राज्य सरकार से 15 दिन में जवाब मांगा है। इसके साथ ही एमपी स्टेट माइनिंग कॉर्पोरेशन, सिया, पीसीबी को भी नोटिस जारी कर एनजीटी ने इस लापरवाही का कारण पूछा है।
याचिकाकर्ता विनायक परिहार के अधिवक्ता धर्मवीर शर्मा ने एनजीटी को बताया कि सिया व पीसीबी ने 2009 से अगस्त 2015 के बीच प्रदेश में किसी भी रेत खदान की अनुमति नहीं दी है। वहीं सरकारी उपक्रम स्टेट माइनिंग कर्पोरेशन ने इसी अवधि में चंबल और नर्मदा नदी से 5 करोड़ घनमीटर रेत का खनन किया, जो नियम विरुद्ध है।
वर्ष 2006 में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना के पालन के लिए स्टेट माइनिंग कार्पोरेशन ने 5 हेक्टेयर से बड़ी 120 रेत खदानों के लिए सिया को एनवायरोमेंट क्लीयरेंस के लिए आवेदन किया था। 2009 में किए गए इन आवेदनों पर सिया ने 2010 में टीओआर जारी करते हुए कार्पोरेशन से माइनिंग प्लान और पर्यावरण योजना मांगी थी, लेकिन 2013 तक माइनिंग कार्पोरेशन ने न तो माइनिंग प्लान दिया, न पर्यावरण योजना पेश की। इस कारण सिया ने कार्पोरेशन के आवेदन को खारिज कर दिया। बावजूद इसके स्टेट माइनिंग कॉर्पोरेशन लगातार इन खदानों से रेत खनन करता रहा।
बिना पर्यावरण मंजूरी के नर्मदा और चंबल में कैसे चल रहीं 450 रेत खदान : एनजीटी
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