नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों से सांसदों और विधायकों के खिलाफ ऐसे मामलों की सुनवाई में तेजी लाने को कहा है जिनमें दोष साबित होने पर अयोग्य करार देने का प्रावधान है। मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वे अदालतों में ऐसे मामलों की नियमित आधार पर सुनवाई करवाएं, विशेष सरकारी वकील नियुक्त करें और उनकी नियमित निगरानी सुनिश्चित करें।उच्चतम न्यायालय द्वारा सांसदों विधायकों की संलिप्तता वाले मामलों की सुनवाई पूरी करने की एक समय सीमा निर्धारित करने के निर्देश के मद्देनजर यह निर्देश आया है।

यह कदम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 24 जुलाई के निर्देशों के समरूप भी है जिसमें उन्होंने गृह मंत्रालय और विधि मंत्रालय से एक ऐसी व्यवस्था स्थापित करने को कहा था जहां राजनीति को दागी सांसदों विधायकों से मुक्त कराने के लिए राजनेताओं के खिलाफ एक साल के भीतर मामलों को निपटाया जा सके।

उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का हवाला देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय गृह सचिव अनिल गोस्वामी ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को अलग अलग पत्र लिखे हैं और उन्हें उच्चतम न्यायालय के निर्देशों की अनुपालना के लिए उन्हें कदम उठाने की सलाह दी है। इनमें वे मामले शामिल हैं जिनमें दो साल की सजा का प्रावधान है और जिससे संसद या राज्य विधानसभाओं से उन्हें अयोग्य करार दिए जा सकता है।