नई दिल्ली : बिजली तथा कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को कहा कि कोयले की आपूर्ति कम नहीं है और नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के तीन महीने के दौरान शुष्क ईंधन आधारित बिजली उत्पादन में करीब 22 प्रतिशत वृद्धि हुई है।

यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए गोयल ने कहा कि बिजली घरों में कोयले की कमी के कारण अत्यधिक बिजली उत्पादन के लिये तेजी से भंडार का इस्तेमाल होना है।

गोयल ने कहा, ‘‘कोयले की आपूर्ति कम नहीं है..पिछले कुछ साल में कोयले की निकासी योजना के मुताबिक है। वास्तविकता यह है कि कोयले के उत्पादन का नहीं बढ़ना हमें विरासत में मिला है’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं 100 दिन में कोयले का उत्पादन नहीं बढ़ा सकता लेकिन सचाई यह है कि उपलब्ध संसाधनों से हमने बिजली आपूर्ति में 22 प्रतिशत की वृद्धि की है और ये सभी बिजलीघर कोयला आधारित हैं।’’

गोयल ने यह भी कहा कि अवैध कोयला खान आवंटन पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद सरकार तेजी से कदम उठाएगी और 2019 तक कोयला उत्पादन बढ़ाकर एक अरब डालर टन तक किया जाएगा। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि 1993 से विभिन्न केंद्र सरकारों के दौरान कोयला खानों का आवंटन अवैध तथा मनमाने तरीके से किया गया। इससे 218 कोयला खानों तथा परिणामस्वरूप करीब 2 लाख करोड़ रुपये का निवेश के भविष्य पर अनिश्चितता छा गयी है।

चार सितंबर तक देश के 28 बिजली घरों में चार दिन से कम का कोयला बचा था। पीयूष गोयल ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया खानों से तेजी से कोयले की ढुलाई के लिये 250 रेल रैक खरीदने के लिये 5,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार बिजली क्षेत्र की कायापलट करने तथा सभी घरों, उद्योगों तथा वाणिज्यिक इकाइयों को 24 घंटे बिजली तथा खेती-बाड़ी के लिये पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराने को लेकर प्रतिबद्ध है।

गोयल ने कहा कि सरकार कोयला उत्पादन बढ़ाने को लेकर सभी प्रयास कर रही है और साथ ही छत्तीसगढ़, झारखंड तथा ओड़िशा में तीन महत्वपूर्ण रेल लाइनों को तेजी से पूरा करने के लिये कदम उठाये जा रहे हैं। इससे 2017-18 तक 6 करोड़ टन तथा 2021-22 तक सालाना अतिरिक्त 20 करोड़ टन कोयला आपूर्ति होने की संभावना है।

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार कोयला खनन परियोजनाओं के लिये तेजी से पर्यावरण मंजूरी सुनिश्चित करेगी। साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिये कदम उठाएगी। कोयले की व्यवस्था को युक्तिसंगत बनाने की बात करते हुए कोयला मंत्री ने कहा 32,000 मेगावाट क्षमता के पुराने बिजलीघरों को आधुनिक रूप दिया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘कोयले की उतनी ही मात्रा से अधिकतम बिजली उत्पादन के लिये पुराने और खराब बिजलीघरों के कोयला स्रोतों को अत्याधुनिक सुपरक्रिटिकल संयंत्रों को स्वत: स्थानांतरण की छूट दी जा रही है। कोयला स्रोत के साथ कड़ियों को युक्तिसंगत बनाने (गुजरात एवं छत्तीसगढ़ के बीच अदला-बदली पूरी) का काम जारी है जिसका मकसद बिजलीघरों को समीप के खानों से जोड़ना है।’’ पनबिजली उत्पादन कम रहने के बारे में उन्होंने कहा कि इसका कारण कमजोर मानसून है।

पीयूष गोयल ने यह भी कहा कि अटकी पड़ी गैस आधारित क्षमता के समाधान के लिये कई कदम उठाये गये हैं और व्यस्त समय में मांग को पूरा करने के लिये या जरूरत के समय गैस के इस्तेमाल की योजना बनायी गयी है। मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार ने राजयों में बिजली ग्रिड सुरक्षा में 7,000 करोड़ रुपये निवेश किये है। गोयल ने कहा कि सरकार को बिजली क्षेत्र में कई समस्याएं विरासत में मिली हैं। 30 करोड़ से अधिक भारतीयों के पास बिजली नहीं पहुंची है। इससे स्वास्थ्य, शिक्षा तथा आय बढ़ाने के मौकों पर प्रभाव पड़ा है।उन्होंने यह भी कहा कि राज्य बिजली बोर्डों से 3,00,000 करोड़ रुपये का घाटा विरासत में मिला है।