भोपाल। 'सर, आपको पता है कि मेडिकल से संबंधित पाठ्यक्रमों में इतनी कम शिकायतें क्यों आती हैं? इसकी वजह मैं आपको बताता हूं। अगर हम अपने कॉलेज की शिकायत करते हैं और सच सामने लाते हैं, तो हमारे नंबर काट लिए जाते हैं। प्रैक्टिकल में हमें कम नंबर दिए जाते हैं। आप लोग भी हमारा नाम गोपनीय नहीं रखते।"

यह बात शुक्रवार को समन्वय भवन में 'निजी क्षेत्र की तकनीकी, चिकित्सा और व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों में वित्तीय प्रबंधन और गुणवत्ता सुधार" विषय पर आयोजित कार्यशाला में प्रदेश के विभिन्न् कॉलेजों से आए विद्यार्थियों ने कही। छात्रों ने अधिकारियों को तकनीकी और मेडिकल कॉलेजों में चल रही धांधली और शोषण की जानकारी दी।

तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा में गुणवत्ता सुधार के लिए फीस कमेटी और तकनीकी शिक्षा संचालनालय ने कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में इंटरेक्टिव सेशन भी रखा गया था। इस दौरान विद्यार्थियों ने अधिकारियों के सामने खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने कुछ सुझाव भी दिए। सच्चाई सुनकर विभाग के अधिकारी भी सकते में आ गए।

लड़के होकर क्या गलती कर दी

नर्सिंग छात्र नीलेश पाटीदार ने अधिकारियों से पूछा कि हम लड़के हैं, तो इसमें हमारी क्या गलती है? नर्सिंग कोर्स करने के बाद सरकारी अस्पतालों में मेल नर्स नहीं रखे जाते। प्राइवेट अस्पतालों में शोषण इतना ज्यादा है कि चार-पांच हजार रुपए की नौकरी दी जाती है। प्रदेश में अव्यवहारिक नियमों के कारण नर्सिंग किए लड़कों को मेल नर्स की नौकरी नहीं मिलती।

कॉलेजों में नहीं है फैकल्टी

एक छात्रा ने बताया कि वह मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रही है। लुभावने विज्ञापन देखकर छात्र कॉलेज में एडमिशन ले लेते हैं पर वहां पर्याप्त फैकल्टी नहीं है। फाइनेंस भी वही टीचर पढ़ा रहे हैं, जो एचआर और एडमिनिस्ट्रेशन पढ़ा रहे हैं। छात्रा ने मांग की कि कॉलेजों के स्टाफ की भी जांच होना चाहिए।

टाइम से नहीं आते रिजल्ट

छात्रों ने यह भी शिकायत की कि दो साल के कोर्स के रिजल्ट तीन-चार साल तक नहीं आते। इस पर भी अधिकारी ध्यान दें। छात्र रिजल्ट के लिए परेशान होते रहते हैं। इस पर तकनीकी शिक्षा के अधिकारी सुनील कुमार ने कहा कि भोपाल में बरकतउल्ला से साथ ही प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों की भी यही स्थिति है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए हर संभव उपाय किए जाएंगे। छात्रों के सुझाव और समस्या से शासन को भी अवगत कराएंगे। इस मौक पर डॉ. रंजन कुमार ने परिवर्तन स्वीकार करने को लेकर अपने विचार व्यक्त किए।