ग्वालियर। व्यावसायिक परीक्षा मंडल मप्र भोपाल द्वारा वर्ष 2012 में ली गई पीएमटी परीक्षा के स्क्रूटनी फोल्डर भोपाल के डीएमई कार्यालय से गायब हो गए हैं। व्यापमं घोटाले की जांच कर रही सीबीआई टीम ने अभी हाल ही में इन स्क्रूटनी फोल्डरों को डीएमई से मांगा था। डीएमई कार्यालय में जब यह फोल्डर नहीं मिले तो इनकी मांग कॉलेजों से की गई। कॉलेजों ने इस मामले में स्पष्ट कर दिया है कि यह फोल्डर सीट आवंटन प्रक्रिया से पहले ही भोपाल भेज दिए गए थे। इनकी कोई दूसरी प्रति अब कॉलेजों में नहीं है।

यह है स्क्रूटनी फोल्डर में

वर्ष 2012 में पीएमटी परीक्षा के बाद संचालनालय ने सभी मेडिकल कॉलेजों को कियोस्क सेंटर बनाया था। इन सेंटर पर परीक्षा में सफल होने वाले विद्यार्थियों के डॉक्यूमेंट का वेरीफिकेशन हुआ था। वेरीफिकेशन में विद्यार्थियों की सभी मार्कशीट,पीएमटी में आए अंक,जाति प्रमाण पत्र, मूल निवासी प्रमाण पत्र सहित सभी अन्य प्रमाण पत्र जांचे गए। इनकी फोटो कॉपी को वेरीफाई कर एक फाइल फोल्डर बना लिया गया था।

सीट आवंटन से पहले भेज दिया था रिकार्ड

उस समय सीट आवंटन की प्रक्रिया डीएमई भोपाल से हुई थी। जीआरएमसी ग्वालियर सहित अन्य सभी ने पूरा रिकार्ड सीट अलॉटमेंट से पहले डीएमई कार्यालय में जमा कर दिया था। इसी रिकार्ड के आधार पर भोपाल से सीटें आवंटित हुईं थी।

सीबीआई इसलिए मांग रही है रिकार्ड

व्यापमं घोटाले की जांच कर रही सीबीआई उस समय की प्रवेश प्रक्रिया का रिकार्ड जांचना चाहती है। विशेष रूप से उस समय प्रायवेट कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों का वर्तमान स्टेटस पता किया जाना है। इसी क्रम में सीबीआई ने चंद रोज पहले यह रिकार्ड डीएमई से मांगा था।

डीएमई ने अपनी बला कॉलेजों पर टाली

सीबीआई द्वारा स्क्रूटनी फार्म का रिकार्ड मांगे जाने पर डीएमई कार्यालय ने अपनी बला कॉलेजों पर टाल दी है। डीएमई कार्यालय ने कॉलेजों से उस रिकार्ड को भेजने के लिए कहा है,जो रिकार्ड वर्ष 2012 में ही उनके कार्यालय में जमा हो चुका था। इतना ही नहीं इस मांग पत्र की प्रतिलिपि सीबीआई को भेज दी।

कॉलेजों ने वापस लौटाया फंदा

कॉलेजों ने इस मामले में यह स्पष्ट कर दिया है कि यह पूरा रिकार्ड उसी समय डीएमई कार्यालय में जमा कर दिया गया था। जीआरएमसी प्रशासन ने जमा रिकार्ड की प्राप्ति की कॉपी भी अपने जवाब में भेज दी है। जवाब की प्रतिलिपि सीबीआई को भी भेज दी है।