सीबीआई ने गैंगस्टर छोटा राजन के खिलाफ फर्जी पासपोर्ट मामले में दर्ज प्राथमिकी का विवरण देने से इनकार कर दिया है. सीबीआई ने कहा कि उन्हें सूचना के अधिकार कानून में छूट प्राप्त है.
सीबीआई का रुख इस मामले में कुछ भी हो लेकिन यह पारदर्शिता कानून स्पष्ट करता है कि छूट प्राप्त संगठन भी तब आरटीआई कानून के अंतर्गत आते हैं, जब मांगी गई सूचना का संबंध भ्रष्टाचार के आरोपों से हो.
यह कानून इस बात में कोई फर्क नहीं करता कि आरोप किसी प्राधिकारी या उसके कर्मचारी के खिलाफ हैं या नहीं. इस कानून के अनुसार केवल यह देखा जाना होता है कि उस प्राधिकारी के नियंत्रण में सूचना है या नहीं.
लेकिन सीबीआई छूट संगठनों की सूची में शामिल किये जाने के बाद से ही भ्रष्टाचार से जुड़ी किसी भी प्रकार की सूचना देने से इनकार कर देती है. इसके पीछे सीबीआई हमेशा आरटीआई कानून की धारा 24 का हवाला देती है.
आरटीआई आवेदक वेंकेटेश नायक ने कहा कि जब वह राजन के खिलाफ भ्रष्टाचार से संबंधित आरोपों में दर्ज प्राथमिकी का ब्योरा मांगने सीबीआई के पास पहुंचे तब एजेंसी ने 49 दिनों बाद आवेदन को खारिज दिया और इसके पीछे सूचना कानून की धारा 24 का हवाला दिया.
गौरतलब है कि अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन पर दिल्ली और मुम्बई में हत्या, जबरन वसूली और मादक पदार्थ की तस्करी के 70 से अधिक मामले दर्ज हैं. पचपन वर्षीय इस गैंगस्टर को 25 अक्तूबर, 2015 में बाली में गिरफ्तारी के बाद स्वदेश लाया गया था. वह 27 सालों से फरार चल रहा था. उसका पूरा नाम राजेंद्र सदाशिव निकालजे है.
उसके भारत पहुंचने से पहले ही महाराष्ट्र सरकार ने अंडरवर्ल्ड गैंगस्टर से जुड़े सभी मामले सीबीआई को सौंप दिए थे. सरकार का कहना था कि सीबीआई ऐसे मामलों से निबटने में निपुण है.
CBI ने नहीं दी छोटा राजन की FIR की डिटेल
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