नई दिल्ली। शिक्षक दिवस पर देश भर के स्कूली बच्चों से संवाद की ऐतिहासिक पहल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की भावी पीढ़ी को जिंदगी जीने के गुर सिखाए। हर विषय पर बोलते हुए उन्हें बताया कि कुछ चीजें जिनपर हम जिंदगी में गौर नहीं फरमाते असल में वो कितनी अहम हैं। मोदी के मुताबिक उन्हीं चीजों पर ध्यान देकर हम खुद को और देश को आगे बढ़ा सकते हैं। मोदी ने बच्चों को बिजली-पानी बचाने के गुर सिखाए तो प्रकृति से प्रेम करने, वृक्ष लगाने की भी नसीहत दी। बिजली, पानी और पर्यावरण को लेकर मोदी का बच्चों से ये संवाद अकारण नहीं था। प्रधानमंत्री को देश के हालात का अंदाजा है और भावी पीढ़ी के सहयोग के बिना उससे निकलने का रास्ता भी नहीं है।
देश में बिजली की स्थितिः अभी देश में 2 लाख 28 हजार 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। इसमें से कोयले से 58.75 फीसदी, जल विद्युत से 17.39 फीसदी और परमाणु ऊर्जा से सिर्फ 2.08 फीसदी बिजली का उत्पादन होता है। भारत क्षमता से 1 लाख मेगावॉट बिजली कम पैदा करता है। देश की करीब 40 करोड़ आबादी आज भी बिजली से महरूम है। आजादी के 65 साल बाद भी महज 9 राज्यों का ही पूरी तरह विद्युतीकरण हुआ है। देश के 21 राज्यों के लाखों गांव आज भी अंधेरे में हैं। दुनिया में औसतन प्रति व्यक्ति सालाना बिजली की खपत 2430 यूनिट है लेकिन भारत में यह है सिर्फ 884 यूनिट। सालाना बिजली की मांग में 7% का इजाफा हो रहा है लेकिन मांग के मुताबिक उत्पादन नहीं बढ़ रहा है।
देश में पानी की स्थितिः दुनिया के करीब 20% लोगों को पीने का साफ पानी नहीं नसीब होता और इनमें से आधे से ज्यादा भारत और चीन के हैं। भारत में दुनिया की 16% आबादी है लेकिन पानी सिर्फ 4% है। बड़े इलाके में भूजल हर साल करीब 1 मीटर तक नीचे जा रहा है। कम बारिश और जरूरत से ज्यादा भूजल का दोहन होता है। कई बड़े शहरों में अभी से पानी की किल्लत है। देश में करीब 14 बड़ी, 55 लघु और 100 छोटी नदियां हैं लेकिन मल-मूत्र, दूषित जल और औद्योगिक कचरा इनमें उड़ेला जा रहा है। तालाब गायब हो जाने से पानी का संरक्षण नहीं हो पा रहा है। एक ओर पानी के स्त्रोतों का संरक्षण नहीं होता तो दूसरी तरफ राज्यों में पानी को लेकर विवाद है। कृष्णा-कावेरी जल विवाद, रावी-व्यास जल विवाद हमारे सामने है।
देश में वनों की स्थितिः राष्ट्रीय वन नीति है कि देश के 33% हिस्से पर वन हो लेकिन देश के महज 21.02% हिस्से पर ही वन है। 2007 में देश में 6 लाख 90 हजार 900 वर्ग किमी वन क्षेत्र था। उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के राज्यों में ही 33% से ज्यादा वन हैं। छत्तीसगढ़, ओडीशा, गोआ में 33% से ज्यादा वन हैं पर यहां वनक्षेत्र तेजी से घट रहा है। वन संरक्षण कानून से पहले सालाना 1 लाख 43 हजार हेक्टेयर जंगल कट रहा था। आज भी सालाना 30-35 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र विकास की भेंट चढ़ रहा है।
वन, बिजली और पानी- मोदी की चिंता नहीं बेमानी!
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