नई दिल्ली। देश की स्कूली शिक्षा के सामने बड़ी चुनौती का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि इस दिशा में लक्ष्य हासिल करने के लिए हमें और अधिक योग्य शिक्षकों की जरूरत है। इसके साथ ही राष्ट्रपति ने बच्चों को धर्मनिरपेक्षता और सहिष्णुता का पाठ पढ़ाने की वकालत की है। राष्ट्रपति का कहना है कि दुनिया आज ¨हसा, आतंकवाद, असहिष्णुता और पर्यावरण को नुकसान जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है। इसलिए बच्चों को सत्य, सहिष्णुता, धर्मनिरपेक्षता और सबको साथ लेकर चलने के गुण सिखाने की जरूरत है।
शिक्षक दिवस पर शुक्रवार को 357 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार-2013 से सम्मानित करते हुए राष्ट्रपति ने यह अनुरोध किया। सम्मानित होने वाले शिक्षकों में उत्तर प्रदेश के 28, उत्तराखंड के 8, बिहार के 9, झारखंड के चार, दिल्ली के चार, पश्चिम बंगाल के 23, हरियाणा के 8, हिमाचल प्रदेश के 4, पंजाब के 10, जम्मू कश्मीर के 4 और चंडीगढ़ के 2 शिक्षक शामिल हैं। सभी शिक्षकों को एक प्रमाण पत्र, रजत पदक और 25 रुपये दिए गए।
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को आज अधिक योग्य और उत्सुक शिक्षकों की जरूरत है, जो कि शिक्षा की गुणवत्ता और स्तर को सुधारने के लिए खुद को समर्पित कर सकें। शिक्षकों के पढ़ाने का तरीका ही बच्चों को ज्ञानवान, क्षमतावान और गुणवान वैश्विक नागरिक बना सकता है।
आम बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिए की गई घोषणाओं की चर्चा करते हुए मुखर्जी ने कहा कि सर्वशिक्षा अभियान के लिए 29,000 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के लिए 5000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसके अलावा शिक्षक प्रशिक्षण के लिए पंडित मदन मोहन मालवीय योजना की घोषणा भी की गई है। साथ ही वर्चुअल क्लासरूम 'क्लिक' स्थापित करने के लिए भी धनराशि आवंटित की गई है।
इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि सरकार जल्द ही राष्ट्रीय ई-लाइब्रेरी शुरू करेगी, जिससे दूरदराज के क्षेत्र में भी बच्चों को आसानी से किताबें उपलब्ध हो सकेंगी। ईरानी ने शिक्षकों से शोध कार्यो पर अधिक जोर देने का आग्रह भी किया। समारोह में राष्ट्रीय बाल भवन के छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया।
राष्ट्रपति ने शिक्षकों को किया सम्मानित
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