प्रदेश में अवैध रूप से विभिन्न प्रकार के कोर्स चला रहीं शिक्षण संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश हाईकोर्ट ने सरकार को दिए हैं। जस्टिस राजेन्द्र मेनन और जस्टिस आलोक वर्मा की युगलपीठ ने उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को कहा कि वे एक निरीक्षण टीम का गठन करें, जो लगातार कार्रवाई करे। उसे कागजों तक सीमित न रखा जाए।
इसके बाद जो भी कार्रवाई होती है, उसका ब्यौरा तीन माह के भीतर रजिस्ट्रार जनरल के पास पेश किया जाए।यह मामला अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा की ओर से वर्ष २०१० में दायर कर कहा गया था कि प्रदेश के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में कम्प्यूटर कॉलेजों का संचालन किया रहा है। याचिका में आरोप था कि ऐसे कॉलेज काफी तामझाम फैलाकर हजारों की संख्या में छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
उच्च शिक्षा की मान्यता मिलने के बाद ऐसे कॉलेजों में कथित रूप से निम्न श्रेणी की पढ़ाई कराई जाती है, जो अवैधानिक है। याचिका में यहां तक आरोप था कि नौकरी की सौ फीसदी गारंटी देने वाले इन कॉलेजों के पास न तो पर्याप्त संख्या में टीचिंग स्टाफ रहता और कई का संचालन तो दो से तीन कमरों की दुकानों में किया जाता है।