नयी  दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक अनिल सिन्हा ने आज इस दावे का खंडन करने की काशिश की कि एजेंसी राजनीतिक हथियार की तरह काम कर रही है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उनके कार्यकाल में किसी भी राजनीतिक नेता ने पक्षधरता की मांग करते हुए उन्हें फोन नहीं किया.
 
सीबीआई निदेशक इस बात को लेकर भी आशावादी नजर आए जब उन्होंने दावा किया कि दाउद इब्राहिम को वापस लाने की कोशिशें चल रही हैं और सरकार की सभी एजेंसियां इस दिशा में काम कर रही हैं उन्होंने एक टीवी कार्यक्रम में कहा, ‘‘मैं (दाउद इब्राहिम को वापस लाने पर) कोई समय सीमा नहीं दे सकता लेकिन किसी को भी शक नहीं होना चाहिए...... (छोटा राजन के) इस मामले में हमें कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से सहयोग मिला.' सीबीआई प्रमुख ने कहा कि यह छह माह का अभियान था जिस दौरान राजन का पता लगाया गया और कानून का सामना करने के लिए उसे देश में लाया गया.
 
उन्होंने कहा कि यदि अन्य देशों से ऐसा ही सहयोग मिला तो दाउद को वापस लाने का प्रयास भी सफल होगा. वैसे उन्होंने यह कहते हुए कोई भी ब्योरा देने से इनकार कर दिया कि अभियान के ब्योरे का खुलासा करने से यह कोशिश औंधे मुंह गिर सकती है.
 
पिछले साल दिसंबर में सीबीआई प्रमुख का पदभार ग्रहण करने वाले सिन्हा ने अपने पूर्ववर्ती के कार्यकाल के दौरान उच्चतम न्यायालय द्वारा इस जांच एजेंसी की की गयी तीखी आलोचना से खुद को यह कहते हुए दूर करने का प्रयास किया, ‘‘यह तब की बात है, अब की नहीं.' उन्होंने कहा, ‘क्या आप विराट से पूछते हैं कि धौनी  की कप्तानी में हम क्यों हार गए या आप धौनी  से पूछते हैं कि हम सुनील गवास्कर की कप्तानी के दौरान क्यों हार गए. ' उन्होंने कहा कि वह अपने कार्यकाल के, न कि पूर्ववर्तियों के कार्यकाल में लिए गए फैसलों की जिम्मेदारी ले सकते हैं. उच्चतम न्यायालय ने पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा के कार्यकाल के दौरान सीबीआई को अपने आकाओं के हाथों ‘पिंजरे में बंद तोता' कहा था.
 
वैसे अनिल सिन्हा के कार्यकाल के दौरान भी एजेंसी ने कुछ विवादास्पद निर्णय लिए जैसे सीबीआई ने किसी राजनीतिक दल के अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाए थे लेकिन जब अदालत ने उस दल के अध्यक्ष को बरी कर दिया तो एजेंसी ने इस आदेश के खिलाफ अपील नहीं की. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निवास की उनकी बेटी की शादी के दिन तलाशी ली गयी.
 
सिंह के आवास की तलाशी के बारे में सवाल का जवाब देते हुए सिन्हा ने कहा, ‘‘शादी के लिए कोई व्यापक इंतजाम नहीं था. शिमला के लोगों को भी ऐसे किसी कार्यक्रम का पता नहीं था. ऐसे में कैसे सीबीआई को उसका पता होता. ' उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी नेता ने किसी जांच को प्रभावित करने के लिए उन्हें फोन नहीं किया.
 
उन्होंने कहा, ‘‘सीबीआई कभी भी राजनीतिक हथियार नहीं थी, न कभी रहेगी. ' सिन्हा ने यह मांग दोहरायी कि एक ऐसा कानून हो जो इस सीबीआई को राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले अपराधों की जांच अपने हाथों में लेने का अधिकार प्रदान करे. उन्होंने कहा, ‘‘हमें किसी अन्य बातों के बजाय संगठित अपराध से निबटने की चिंता होनी चाहिए.