नई दिल्ली : ऑस्कर विजेता अभिनेत्री निकोल किडमैन को बॉलीवुड फिल्मों से प्रेम हो गया है और उन्हें बॉलीवुड फिल्मों से यह प्रेम बैज़ लुहरमन की ‘मौलिन रूश’ में काम करने के दौरान हुआ जो कि बॉलीवुड ड्रामा से प्रेरित थी।

 

जब निकोल से पूछा गया कि क्या वह बॉलीवुड की फिल्मों में काम करना पसंद करेंगी तो उन्होंने कहा, ‘मुझे कभी बॉलीवुड फिल्म करने का प्रस्ताव नहीं मिला।’ एचटी लीडरशिप समिट 2015 के दौरान निकोल ने कहा, ‘मौलिन रूश में हमने बहुत कुछ बॉलीवुड से चुराया। 

‘मौलिन रूश’ में काम करने के दौरान मैंने बहुत सारी बॉलीवुड फिल्में देखीं। मुझे याद है कि बैज़ लुहरमन ने ये सभी बॉलीवुड फिल्में दिखाई थीं और उसी दौरान मुझे इनसे प्यार हो गया। हमने इनका कुछ हिस्सा फिल्म में करने की कोशिश की लेकिन यह बहुत कठिन है। अनुकरण करने के लिए यह कला का बहुत कठिन स्वरूप है।’ 

वर्ष 2001 में ऑस्कर के लिए नामित इस फिल्म में निकोल ने एक बीमार कैबेरे अभिनेत्री और वेश्या का किरदार निभाया था। निकोल का मानना है कि हॉलीवुड की नकल करने के चक्कर में बॉलीवुड को अपना अनूठापन नहीं खोना चाहिए। 

उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं जानती कि क्यों एक देश के तौर पर आप लोग हॉलीवुड की नकल करना चाहते हैं। देशों के लिए सांस्कृतिक तौर पर यह निहायत जरूरी है कि वे अपनी पहचान को अपनी कला के जरिए जिंदा रखें। आप जाकर हॉलीवुड फिल्म देख सकते हैं लेकिन आपको फिल्म वह बनानी चाहिए जो आपकी अपनी हो, आपका प्रतिनिधित्व करती हो और आपकी संस्कृति को ताकत देती हो।’ 

निकोल किसी बॉलीवुड फिल्म में काम नहीं कर रही हैं लेकिन वह ‘लायन’ में काम कर रही हैं जिसका कुछ भाग कोलकाता में फिल्माया जाना है और इसमें उनके साथ देव पटेल भी हैं। समिट के दौरान निकोल ने दुनिया को पुरूष प्रधान बताया और लिंग के आधार पर समानता की जरूरत बताई।

उन्होंने कहा, ‘यह एक पुरूष प्रधान दुनिया है। यह तथ्य है। जब लोग कहते हैं कि अब नारीवाद की कोई जरूरत नहीं क्योंकि अब सब बराबर है लेकिन हम जानते हैं कि यह सही नहीं है। दुनिया जरूरत के हिसाब से बदल रही है और लोगों के बीच लिंग के आधार पर समानता की इच्छा है। लेकिन हमें अभी भी बहुत लंबा सफर तय करना है।’ 

उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि यह विवादास्पद बयान है। यह इसलिए है क्योंकि अभी भी महिलाओं को बराबरी का हक देने की जरूरत है। वह यह नहीं कह रही कि महिलाओं को सम्मान नहीं दिया जा रहा लेकिन इसके बावजूद अभी भी दुनिया पुरूष प्रधान है। लिंग समानता लाई जा सकती है और वह दुनिया बहुत अलग होगी।