नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद(VHP) के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल को गंभीर हालत में गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इससे पहले उन्हें 21 अक्टूबर को भी गंभीर हालत में यहां लाया गया था। हालात में सुधार के बाद कुछ दिन पहले ही उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया था।
VHP की ओर से जारी बयान के अनुसार, मेदांता सुपर-स्पेशियालिटी हॉस्पिटल में उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि उनकी हालत गंभीर है। सिंघल को एक महीने से ज्यादा वक्त से सांस संबंधी परेशानी हो रही है। इलाहाबाद में स्वास्थ्य बिगड़ने के बाद सिंघल को 20 अक्टूबर को मेदांता में भर्ती कराया गया था। दो दिन पहले ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली थी।
लगा रहा नेताओं का तांता
सिंघल का हालचाल जानने के लिए शनिवार को नेताओं का तांता लगा रहा। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और पार्टी महासचिव (संगठन) रामलाल के अलावा केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे. पी. नड्डा ने अस्पताल जाकर उनका हालचाल पूछा। वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम प्रकाश सिंघल, महासचिव चंपत राय और अन्य नेता भी मेदांता में जमा हैं। सिंघल के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए, वीएचपी ने अपना 18 दिनों का चतुर्वेद स्वाहकार यज्ञ और दिवाली कार्यक्रम रद्द कर दिया। यज्ञ 16 नवंबर से दिल्ली के बिड़ला मंदिर में शुरू होना था।
कौन हैं अशोक सिंघल?
अशोक सिंघल का जन्म 15 सितंबर 1915 को आगरा में हुआ था। उनके पिता सरकारी नौकरी करते थे। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। पढ़ाई के समय ही वह आरएसएस के संपर्क में आए और प्रचारक बन गए। उन्होंने देश के कई प्रदेशों में आरएसएस का काम किया। 1981 में उन्हें विश्व हिंदू परिषद में भेज दिया गया।
राम मंदिर आंदोलन ने दिलाई पहचान
सिंघल के समय ही राम मंदिर आंदोलन का पूरे देश में विस्तार हुआ था। 1989 में आयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के बाद अशोक सिंघल ने कहा था कि "यह मात्र एक मंदिर का नहीं, हिंदू राष्ट्र का शिलान्यास है।"
क्या है राम मंदिर आंदोलन
अयोध्या विवाद एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा रहा है जो सन् 1989 के बाद अपने उफान पर था। देश की राजनीति इससे प्रभावित होती रही है। इससे हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव भी उत्पन्न होता रहा है। देश के हिंदू संगठनों का दावा है कि भगवान राम की जन्म स्थली पर बाबरी मस्जिद बना है। उनका दावा है कि इस मस्जिद का निर्माण एक मंदिर तोड़कर किया गया थी। इसी आधार पर उक्त संगठनों की तरफ से आंदोलन चलाया गया। जिसमें छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरा दी गई।