इंदौर। व्यवसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा में शामिल नहीं होने वाले छात्रों को बीएड/एमएड में प्रवेश नहीं दिया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने प्रायवेट कॉलेजों की ओर से पेश याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। प्रायवेट कॉलेज हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।
प्रदेश के प्रायवेट कॉलेजों ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी कि बीएड कोर्स में आधे से ज्यादा सीटें खाली हैं।व्यापमं द्वारा प्रवेश परीक्षा के बावजूद सीटें नहीं भरा रहीं। कॉलेजों को अपने स्तर पर खाली सीटों पर एडमिशन देने की अनुमति दी जाए।
कॉलेजों ने हाईकोर्ट में इसे लेकर याचिका लगाई थी जिसे कोर्ट पहले ही खारिज कर चुकी है। याचिका में कॉलेजों ने कहा था कि बीएड कोर्ट की 53 हजार 865 सीटों के लिए व्यापमं द्वारा आयोजित इंट्रेंस एक्जाम में साढ़े 63 हजार परीक्षार्थी शामिल हुए थे। न्यायमूर्ति एमवाय इकबाल और न्यायमूर्ति सी नागप्पा की डबल बेंच ने कॉलेजों की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई आधार नहीं है कि कॉलेजों को अपने स्तर पर एडमिशन देने की अनुमति दी जा सके।
चार काउंसलिंग के बाद भी नहीं भरी सीटें
शासन ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क रखा था कि चार काउंसलिंग के बावजूद परीक्षार्थियों का कॉलेजों में प्रवेश लेने में कोई रूचि नजर नहीं आई। काउंसलिंग में उन सभी परीक्षार्थियों को शामिल किया गया था जो इंट्रेंस एक्जाम में शामिल हुए थे। कॉलेजों को अपने स्तर पर प्रवेश की अनुमति देना इंट्रेंस में शामिल होने वालों के साथ अन्याय होगा।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला : जो इंट्रेंस में शामिल नहीं हुआ उसे प्रवेश नहीं
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