जबलपुर। गोसलपुर हादसे के बाद कई गंभीर खुलासे हुए हैं। इसमें बिना ट्रेंड लोगों को भारी वाहन के लायसेंस मिलना, खनन माफिया से पुलिस की मिलीभगत और दुर्घटनाओं के मामलों को दबाने जैसे कई अहम पहलू सामने आए हैं। जिस मिनी ट्रक ने सात लोगों की जान ले ली उसका ड्राइवर प्रेमलाल भूमिया एक साल पहले तक खितौला के एक ढाबे में वेटर था। लेकिन परिवहन विभाग ने उसे भारी वाहन चलाने का लायसेंस कैसे दे दिया। पुलिस इस तथ्य की जांच कर रही है।

लोगों का आरोप है कि सिर्फ प्रेमलाल भूमिया नहीं बल्कि गोसलपुर के आसपास के गांवों में ऐसे सैकड़ों युवक हैं जो दो साल पहले तक या तो मजदूरी करते थे या बेरोजगार थे। लेकिन विगत सालों में जैसे-जैसे खनन कारोबार ने इलाके में पैर पसारा वैसे-वैसे फर्जी लायसेंस का धंधा भी फैलता गया।

जिले का सबसे मंहगा थाना

हाल ही में चौकी से थाना बना गोसलपुर पिछले पांच साल में संभाग का सबसे मंहगा थाना बना गया है। सूत्रों की माने तो गोसलपुर थाने में सिपाही से टीआई तक की पोस्टिंग के लिए बड़ी एप्रोच और बोली लगती है। दरअसल मैगनीज, ब्लू डस्ट, आयरन ओर और मार्बल की सैकड़ों खदानें गोसलपुर से स्लीमनाबाद तक हैं। जिसमें निकलने वाले खनिजों को रेलवे साइडिंग तक ले जाने के लिए प्रतिदिन 2 हजार से ज्यादा वाहनों की आवाजाही होती है। ज्यादातर वाहन अवैध रूप से चलते हैं, जिसके एवज में थाना पुलिस को हर माह अवैध रूप से बड़ी रकम मिलती है। यही वजह है कि छोटे सड़क हादसों को पुलिस दबा देती है। पुलिस का पूरा ध्यान एफआईआर से ज्यादा समझौते पर रहता है।

तीन साल में 200 से ज्यादा मौत

ग्रामीणों ने चर्चा के दौरान बताया कि अवैध परिवहन से जुड़े वाहनों की वजह से पिछले 3 साल में 200 से ज्यादा लोगों की सड़क हादसों में जान जा चुकी है। जबकि 1 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इसी कारण इस हादसे के बाद लोगों ने सबसे ज्यादा गुस्सा गोसलपुर थाने के स्टाफ पर उतारा।

मार्ग डायवर्ट थे, हाइवे नहीं कर सकते जाम

इस हादसे को लेकर पुलिस पर लापरवाही के कई आरोप लगाए जा रहे हैं। जैसे त्योहार के चलते हाइवे पर भारी वाहनों की आवाजाही पर पूर्णत: पाबंदी लगाना चाहिए थे। इसके जवाब में पुलिस ने भी अपने बचाव में कई तर्क पेश किए। मसलन नियम के मुताबिक हाइवे को पूरी तरह बंद नहीं किया जा सकता। लिहाजा आबादी से पहले मार्गों को डायवर्ड कर दिया गया था। गोसलपुर से बुढ़ागर बस्ती से पहले बरनू तिराहे पर भी ऐसा किया गया था। लेकिन घटनास्थल डायवर्ड मार्ग से काफी पहले था।